Maharashtra

दिव्यांग शिकायत निवारण बोर्ड की बैठक में देरी क्यों?

हाई कोर्ट का महाराष्ट्र सरकार से सवाल

मुंबई, 4 मार्च (हि.सं.)। बांबे हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल फुटपाथ उपलब्ध कराने पर निर्णय लेने के लिए दिव्यांगजन शिकायत निवारण बोर्ड की बैठक में देरी करने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की। क्या सरकार दिव्यांगों के प्रति संवेदनशील है? हमने जनवरी में आदेश दिया और सरकार मार्च में बैठक करेगी? इस तरह के कई सवाल अदालत ने सरकार से पूछे हैं।

न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति. भारती डांगरे की पीठ ने सरकार के रुख पर आश्चर्य व्यक्त किया और बताया कि यह स्थिति दयनीय है। सरकार को बैठक में लिए गए निर्णयों को 1 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के दौरान रिकॉर्ड पर रखने का भी आदेश दिया। सुनवाई के दौरान, एमिकस क्यूरी (न्यायालय मित्र) नियुक्त किए गए एडवोकेट जमशेद मिस्त्री ने कहा कि नीति से संबंधित विभिन्न मुद्दे लंबित हैं और उन्हें बोर्ड को भेजे जाने की आवश्यकता है। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पूर्णिमा कंथारिया ने अदालत को बताया कि बोर्ड का गठन कर दिया गया है और 19 मार्च को इसकी बैठक होगी। दूसरी ओर सरकार की ओर से न्यायालय में एक हलफनामा पेश किया गया, जिसमें पहली बैठक का एजेंडा बताया गया। मुंबई में फुटपाथों की स्थिति में सुधार करना, उन्हें विकलांगों के लिए सुलभ बनाना, सरकारी भवनों, अस्पतालों आदि को विकलांगों के अनुकूल डिजाइन करना आदि मुद्दे शामिल हैं। हालांकि अदालत ने इस बैठक में देरी पर नाराजगी व्यक्त की।

अदालत ने यह भी कहा कि जनवरी में सरकार ने अदालत को कोर्ट बताया था कि एक सलाहकार बोर्ड का गठन किया गया है. दिव्यांगों के लिए शिकायत दर्ज कराने के लिए एक समर्पित ईमेल आईडी शुरू की गई है। शिवाजी पार्क के रहनेवाले करण शाह, जो जन्म से ही विकलांग हैं, ने मुख्य न्यायाधीश को ईमेल भेजकर मुंबई में फुटपाथों पर लगे बोलार्डों के कारण विकलांगों को होने वाली असुविधा के बारे में बताया था।

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(Udaipur Kiran) / वी कुमार

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