West Bengal

आरजी कर घटना सामूहिक दुष्कर्म थी या नहीं, कलकत्ता हाई कोर्ट ने सीबीआई से मांगा जवाब

कलकत्ता हाई कोर्ट

कोलकाता, 24 मार्च (Udaipur Kiran) । कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले साल अगस्त में एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में जांच की स्थिति पर स्पष्टीकरण मांगा।

न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष इस मामले में मृतका के माता-पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें उन्होंने नए सिरे से जांच की मांग की है। अदालत ने सीबीआई से अगली सुनवाई में कुछ अहम सवालों के जवाब देने को कहा है —

चार्जशीट की भाषा से यह स्पष्ट होता है कि यह किसी एक आरोपित द्वारा किया गया अपराध था या सामूहिक दुष्कर्म का मामला है?

क्या सीबीआई ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 70 लागू करने पर विचार किया, विशेष रूप से तब जब कई संदिग्ध शामिल हो सकते हैं?

सीबीआई इस मामले में पहले ही एक चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, लेकिन अदालत ने आगे की जांच और दूसरी चार्जशीट की स्थिति पर जानकारी मांगी है। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह केवल केस डायरी की समीक्षा करेगी, न कि कोई औपचारिक रिपोर्ट।

उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने अगस्त 2024 में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। यह मामला तब चर्चा में आया जब 31 वर्षीय जूनियर डॉक्टर की आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया और कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. संदीप घोष को इस्तीफा देना पड़ा।

इस मामले की जांच 13 अगस्त 2024 को सीबीआई को सौंप दी गई थी। इसके बाद, सीबीआई ने दो सितंबर को डॉ. संदीप घोष को गिरफ्तार किया, जब अदालत ने एजेंसी को कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की जांच करने का आदेश दिया। हालांकि, सीबीआई 90 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई, जिसके कारण 13 दिसंबर 2024 को कोलकाता की एक अदालत ने घोष को जमानत दे दी।

इस मामले में मुख्य आरोपित संजय रॉय, जो कि कोलकाता पुलिस का एक नागरिक स्वयंसेवक था, को घटना के एक दिन बाद 10 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया गया था। इस साल जनवरी में एक विशेष अदालत ने 57 दिनों तक चले बंद कमरे में सुनवाई के बाद उसे दुष्कर्म और हत्या का दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

फरवरी 2025 में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा संजय रॉय को फांसी की सजा दिलाने के लिए दायर अपील को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और मोहम्मद शब्बार राशिद की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी और वही अभियोजन पक्ष थी, इसलिए राज्य सरकार को इस तरह की अपील दायर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। हालांकि, अदालत ने सीबीआई को इस संबंध में अपील दायर करने की अनुमति दे दी।

अब अगली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि क्या यह मामला अकेले संजय रॉय से जुड़ा था या इसमें अन्य आरोपित भी शामिल थे।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

Most Popular

To Top