Madhya Pradesh

समाधि बनाते हो, लोग चादर चढ़ा देते हैं… पुरखे हमारे, फायदा कोई और लेते हैं: सीएम मोहन यादव

समाधि बनाते हो, लोग चादर चढ़ा देते हैं... पुरखे हमारे, फायदा कोई और लेते हैं: सीएम मोहन यादव
समाधि बनाते हो, लोग चादर चढ़ा देते हैं... पुरखे हमारे, फायदा कोई और लेते हैं: सीएम मोहन यादव

– मुख्यमंत्री ने बताई समाधि की परंपरा में बदलाव की जरूरत, दाह संस्कार को प्राथमिकता देने का दिया सुझाव

भोपाल. 31 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन याद ने कहा कि नाथ समुदाय में मृत्यु के बाद दफनाने और समाधि बनाने की जो परंपरा है, उसमें सुधार करने के लिए बदलाव की जरूरत है। समाधि के बदले दाह संस्कार करने की जरूरत है। उन्होंने नाथ समुदाय के लोगों से कहा कि आप समाधि बना देते हो, लोग चादर चढ़ा देते हैं। इसके बाद परेशानी हमें होती है। पुरखे हमारे हैं और समाधि पर चादर चढ़ाकर फायदा कोई और ले लेते हैं। इसे नाथ समाज को ध्यान में रखना होगा। आपको थोड़ी बात में बड़ी समझ रखनी होगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को भोपाल के रवीन्द्र भवन में विमुक्ति दिवस के राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विमुक्त, घुमंतू और अर्द्धघुमंतू समुदाय के लोगों को अब समय के साथ अपनी परंपराओं में कई सुधार करने होंगे। दूर जाने के बजाय अपने घरों के पास रहकर ही व्यवसाय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन समुदाय की जातियों के कुछ लोगों के अपराध में लिप्त होने पर संपूर्ण समुदाय को अपराधी नहीं माना जा सकता।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन जातियों के युवाओं और अन्य प्रतिभाओं को शिक्षा क्षेत्र एवं अच्छे भविष्य और करियर निर्माण के लिए राज्य सरकार पूर्ण सहयोग करेगी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने घुमन्तु, अर्धघुमन्तु कल्याण विभाग की प्रदर्शनी भी देखी और विभाग के पोर्टल ‘समर्थ’ का लोकार्पण किया। बंजारा लोक कलाकार रीना पवार की नृत्य प्रस्तुति पर मुख्यमंत्री ने 21 हजार की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की योजना है कि प्रदेश में निवासरत विमुक्त, घुमंतू और अर्द्धघुमंतू समुदाय की जातियों को एक स्थान का निवासी घोषित करने के उद्देश्य से एक स्थान मान्य करते हुए मूल मुकाम को दर्ज किया जाएगा। इसके अनुसार आवश्यक अभिलेख तैयार करने में मदद मिलेगी। इससे घुमंतू और अर्द्धघुमंतू समुदाय की वे जातियां जो वर्तमान में कल्याण योजनाओं से छूटी हुई हैं,द उन्हें भी योजनाओं का लाभ दिया जा सकेगा। संभाग स्तर पर इन जातियों की लोक संस्कृति को प्रोत्साहित किया जाएगा। शहरों के गीता भवनों से भी समाज की जातियों को जोड़ा जाएगा। मांगलिक भवन भी निर्मित किए जाएंगे।

(Udaipur Kiran) तोमर

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