Bihar

जब जीव में अभिमान है, भगवान उनसे दूर हो जाते हैं: स्वामी राघवेंराचार्य

कथावाचक

नवादा, 26 फरवरी (Udaipur Kiran) । जिले में नरहट प्रखण्ड के प्रसिद्ध मा तारा देवी मंदिर प्रांगण बेरौटा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन बुधवार की कथा प्रारंभ करते हुए कथा व्यास स्वामी राघवेंराचार्य जी महाराज ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम रास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया है लेकिन वह भगवान को पराजित नही कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि रास लीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। गोपी गीत पर बोलते हुए स्वामी जी ने कहा जब तब जीव में अभिमान आता है, भगवान उनसे दूर हो जाता है। लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस अवसर पर श्रीकृष्ण और रुक्मिणी की सुंदर झांकी सजाई गई थी। गाजे बाजे के साथ बारात निकाली गई। श्रीकृष्ण रुक्मिणी जयमाला हुआ। उपस्थित महिलाओं ने विवाह मंगल गीत गायी। पुष्प वर्षा की गई।

इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत ही प्राप्त हो जाती है। श्रीकृष्ण भगवान व रुक्मणि के अतिरिक्त अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया। कथा के दौरान बीच बीच में स्वामी जी ने भजन प्रस्तुत कर सब को खूब झुमाया। इस मौके पर हारमोनियम पर विजय कुमार एवं तबलावादक भगवान तिवारी ने अपनी सेवा दे रहे हैं। दूर दराज से काफी संख्या में भक्तजन कथा श्रवण के लिए पहुच रहे हैं।

(Udaipur Kiran) / संजय कुमार सुमन

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