
संगीतमय श्रीराम कथा की तीसरी संध्या में श्रद्धा और सुरों की गूंज
मीरजापुर, 23 मई (Udaipur Kiran) । जमालपुर के हसौली गांव स्थित विघ्न हरण हनुमत धाम शुक्रवार की रात श्रीराम भक्ति में पूरी तरह डूब गया। संगीतमय श्रीराम कथा की तीसरी संध्या में जब मानस मर्मज्ञ अरुण कृष्ण शास्त्री ने श्रीराम जन्मोत्सव का प्रसंग छेड़ा, तो पूरा पंडाल “जय श्रीराम” के जयघोष से गूंज उठा। ऐसा लगा मानो स्वयं अयोध्या उतर आई हो और भक्तों का मन श्रीराम के चरणों में बंध गया हो।
शास्त्रीजी ने श्रद्धालुओं को बताया कि श्रीरामचरितमानस मात्र ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का आईना है। यह न केवल मानव को उसके कर्तव्यों की याद दिलाता है, बल्कि उसे संयम, शुचिता और मर्यादा की राह पर चलना भी सिखाता है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का अवतार अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। बाल्यकाल से ही उन्होंने असत्य और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष शुरू कर दिया था।
भावविभोर कर गई संगीत और कथा की संगति
कथा को और भी प्रभावशाली बनाया तबले, पैड और आर्गन की सुरमयी संगति ने। अनुराग झा के तबले की थाप, नीतिश विश्वकर्मा की पैड पर उंगलियों की थिरकन और नागेंद्र दुबे की आर्गन पर मधुर तान ने जैसे श्रीराम कथा संगीत में प्राण फूंक दिया हो। हर शब्द, हर सुर, हर भाव श्रद्धा में भीग गया।
पूजन-अर्चन और आरती से हुआ समापन
कथा के अंत में यज्ञाचार्य चंद्रप्रकाश तिवारी ने मंत्रोच्चार के साथ पूजन कराया। दीपों की रौशनी और भक्तों की आरती ने मंदिर परिसर को दिव्यता से भर दिया। तीसरी संध्या में सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
