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गहलोत का तंज: जब गोवा और सिक्किम को भारत में मिला लिया था, तब अमेरिका की नहीं सुनी… तो अब सीजफायर पर दबाव क्यों माना?

पूर्व सीएम अशोक गहलोत

जयपुर, 12 मई (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भारत पर अमेरिकी दबाव की बात कहते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि जब भारत ने 1961 में गोवा और 1974 में सिक्किम के मसले पर अमेरिका जैसे देशों का दबाव नहीं माना, तो आज के हालात में क्यों किसी तीसरे देश को फैसले का अधिकार दिया गया?

गहलोत ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा सीजफायर की घोषणा से देश की जनता हैरान है, क्योंकि भारत की विदेश नीति कभी किसी बाहरी दबाव में नहीं रही। उन्होंने सवाल उठाया कि जब भारत की अपनी सैन्य कार्रवाई चल रही थी, तो अमेरिका को इसमें दखल देने का मौका कैसे मिला?

गहलोत ने अपने बचपन का किस्सा साझा करते हुए बताया कि 1961 में जब वे छठी कक्षा में थे, तब गोवा पुर्तगाल के कब्जे में था। पंडित नेहरू ने ‘ऑपरेशन विजय’ चलाकर गोवा को भारत में मिलाया। उस समय पुर्तगाल नाटाे का सदस्य था और अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश भारत पर दबाव बना रहे थे कि सैन्य कार्रवाई न की जाए। मगर नेहरू नहीं झुके।

गहलोत ने बताया कि जब वे यूनिवर्सिटी में थे, तब 1974 में इंदिरा गांधी ने सिक्किम को भारत में शामिल किया। सिक्किम की महारानी अमेरिकी थीं, इसलिए अमेरिका फिर से भारत पर दबाव बना रहा था। लेकिन इंदिरा गांधी ने उस दबाव को दरकिनार कर सिक्किम को भारत का हिस्सा बना दिया।

गहलोत ने कहा कि भारत की विदेश नीति हमेशा यह रही है कि भारत-पाक के मसले में कोई तीसरा पक्ष नहीं होगा। आज अमेरिका की ओर से सीजफायर की घोषणा से देश में सवाल उठ रहे हैं। आखिर सरकार पर ऐसी क्या मजबूरी थी कि किसी और देश को हस्तक्षेप की इजाजत दे दी?

उन्होंने कहा कि देश की जनता यह जानना चाहती है कि सरकार ने अब तक जिस नीति पर डटे रहने की मिसाल पेश की थी, उससे पीछे क्यों हटा जा रहा है।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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