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डिजिटल अरेस्ट व साइबर अपराधों को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की- हाईकोर्ट

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 22 जनवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट व साइबर क्राइम की बढती घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कहा कि ये अपराध दुनियाभर में बढे हैं और भारत देश में भी लाखों लोग इनसे प्रभावित हुए हैं। इसके चलते हजारों निर्दोष लोगों ने ना केवल अपनी कमाई खो दी, बल्कि कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है। डिजिटल अरेस्ट व साइबर क्राइम से हर क्षेत्र के लोग प्रभावित हो रहे हैं और ऐसे में इनसे हो रहे अपराधों से आमजन को बचाने और इनके खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है। वहीं अदालत ने इस मुद्दे पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए केन्द्र व राज्य सरकार, डीजीपी, आरबीआई व अन्य पक्षकारों से जवाब देने के लिए कहा है। अदालत ने पूछा है कि उन्होंने इससे जुडे अपराधों को रोकने के लिए क्या ठोस कार्रवाई की। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले में सुनवाई करते हुए दिए।

अदालत ने कहा कि हालांकि राज्य सरकार ने इन अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन फिर भी इनकी रोकथाम के लिए ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है। आरबीआई के स्तर पर भी गंभीर कदम उठाने की जरूरत है, ताकि ऐसे जालसाजी वाले लेन-देन के पैसे को ट्रांसफर ना किया जाए और धोखाधडी करने वाले लेन-देन पर अंकुश लगे। इसलिए आरबीआई व सरकार की शिकायत निवारण समिति को धोखाधड़ी से आमजन को बचाने के लिए भी एक सिस्टम डवलप करने की जरूरत है। वहीं अदालत ने एएसजी आरडी रस्तोगी, महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद व अधिवक्ता अनुराग कलावटिया को इस मामले में सहयोग करने के लिए कहा है। अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म और डिजिटल समाचार पोर्टल की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा प्रौद्योगिकी नियम, 2021 बनाए गए हैं। अदालत ने कहा कि कुछ सोशल मीडिया कंपनियां उपभोक्ता के डेटा को बेचती है और साइबर अपराध अपराध करने में इसका दुरुपयोग करते हैं।

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(Udaipur Kiran)

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