West Bengal

पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग फिर शुरू करेगा भर्ती प्रक्रिया, 2016 की रद्द भर्तियों के लिए होगी परीक्षा

कोलकाता, 4 अप्रैल (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) राज्य के सहायता प्राप्त और सरकारी स्कूलों में शिक्षण व गैर-शिक्षण पदों पर नयी भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू करेगा। डब्ल्यूबीएसएससी ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि 2016 में हुई भर्ती, जिसे अब रद्द कर दिया गया है, उसमें शामिल सभी अभ्यर्थियों के लिए नयी परीक्षा कराई जाएगी।

डब्ल्यूबीएसएससी के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में आयोग अब कानूनी सलाह लेगा, जिससे यह तय किया जा सके कि नयी परीक्षा में केवल पुराने उम्मीदवार ही शामिल होंगे या नये अभ्यर्थियों को भी मौका मिलेगा।

मजूमदार ने कहा, “2016 में लगभग 26 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिनमें से करीब 22 लाख परीक्षाओं में शामिल हुए थे। इनमें 9वीं-10वीं कक्षा के लिए लगभग 1.41 लाख और 11वीं-12वीं के लिए करीब 1.5 लाख उम्मीदवार थे। बाकी गैर-शिक्षण पदों के लिए थे।”

हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इतने बड़े पैमाने पर प्रक्रिया को तीन महीने के भीतर पूरा कर पाना संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश में तीन महीने की कोई समयसीमा नहीं दी गई है। यह एक लंबी प्रक्रिया है और इसमें समय लगेगा।”

उन्होंने कहा कि आयोग जल्द ही नयी परीक्षा प्रक्रिया शुरू करेगा और स्कूल शिक्षा विभाग को अपनी सिफारिशें भेजेगा। हालांकि, इस चरण में अधिक जानकारी साझा करना संभव नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 9वीं और 10वीं कक्षा के करीब 12 हजार 905 कार्यरत शिक्षकों की सेवाएं समाप्त हो गई हैं, जबकि 11वीं और 12वीं के पांच हजार 712 शिक्षक भी नौकरी से बाहर हो गए हैं। शेष प्रभावित कर्मचारी ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ के गैर-शिक्षण कर्मचारी हैं।

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि डब्ल्यूबीएसएससी ने नियुक्तियों में हुई गड़बड़ियों और अवैधताओं को जानबूझकर छुपाया और चयन प्रक्रिया में 17 प्रकार की अनियमितताओं को सही ठहराया गया।

यह पूछे जाने पर कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दोषी और योग्य उम्मीदवारों को अलग क्यों नहीं किया, जिससे पूरी भर्ती प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी, मजूमदार ने कहा, “हमने यह आंकड़े शपथपत्रों के जरिए दिए थे, लेकिन अदालत को संतुष्ट नहीं कर सके।”

यह मामला राज्य की सबसे बड़ी भर्ती घोटालों में से एक माना जा रहा है, जिसमें अब नये सिरे से पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की उम्मीद की जा रही है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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