खगड़िया/पटना, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । बिहार के सभी 38 जिलों के समागम पर निकले जदयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने आज खगड़िया में कहा कि 2005 के पहले के बिहार को याद करिए। यहां बाहुबलियों का शासन था। पूरा गुंडाराज फैला हुआ था। बच्चों और महिलाओं की हत्यायें सामान्य बात थीं। बिहार का जीर्णोधार व पुनर्विकास मात्र केवल नीतीश कुमार ही कर सकते हैं। 20 वर्ष पहले बिहार की क्या स्थिति थी, हम सबको पता है।
मनीष वर्मा ने कहा कि नीतीश कुमार जी बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद गरीबों को आगे बढ़ाने हेतु शिक्षा को अनिवार्य किया, महिलाओं को आरक्षण दिया, बेटियों के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं लागू की। क्योंकि, हम सब जानते हैं, एक महिला अपने परिवार के साथ पूरे समाज को शिक्षित करने का काम करती है। महिलाओं को आरक्षण देकर उन्हें बिहार के विकास में सहभागी बनाया। उन्होंने कहा कि खगड़िया की धरती ऐसी है, जहां जदयू को सभी समुदाय और वर्ग के लोगों की ताकत मिलती है। 2010 में यहां चारों विधानसभा सीट पर जदयू ने जीत हासिल की थी।
जदयू नेता मनीष वर्मा ने कहा कि बिहार के परिवर्तन में जदयू के प्रत्येक कार्यकर्ता का योगदान है। यह सरकार या पार्टी मात्र एक हमारे नीतीश कुमार के नाते ही नहीं चल रही है, बल्कि उनके नेतृत्व में प्रत्येक कार्यकर्ता के समर्पण से चल रही है। वहां उपस्थित सभी वरिष्ठ जनों से उन्होंने आग्रह किया कि अपने 30-35 साल से पार्टी को लगातार मजबूत करने का काम किया है। अब आगे 50 साल हमारी पार्टी कैसे चले, उसके लिए हमें मार्गदर्शक की भूमिका में रहकर ज्यादा से ज्यादा युवाओं को पार्टी से जोड़ने की आवश्यकता है।
विरोधियों पर तंज कसते हुए वर्मा ने कहा कि बिहार ऐसा राज्य है, जिसकी मुख्यमंत्री एक अनपढ़ महिला थीं। अब उन्हीं का बेटा जो नवीं फेल है, वो बिहार पर शासन करना चाहता है। एक तरफ इंजीनियर जो 19 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं तो दूसरी तरफ नवीं फेल। आप कल्पना करिए कि ऐसा व्यक्ति बिहार का मुख्यमंत्री बनेगा तो बिहार का क्या हाल होगा। जब इन लोगों का शासन था तो ये गरीब को गरीब बना कर रखना चाहते थे, जिससे कि उन्हें मूर्ख बनाकर उनपर शासन करते रहें। यही कारण था कि पहले लालटेन युग में हम लोगों ने जीवन यापन किया। नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने बिहार को रोशनी से जगमगा दिया। इसलिए बिहार को आगे बढ़ाने के लिए नीतीश के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी