West Bengal

डब्ल्यूबीएसएससी भर्ती मामला : ममता बनर्जी की नई नियुक्ति की घोषणा पर उठे सवाल

कोलकाता, 28 मई (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा 30 मई से स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा के बाद राज्य की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिन ‘निर्दोष’ उम्मीदवारों की नौकरी गई है, उन्हें फिर से लिखित परीक्षा में शामिल होना होगा। लेकिन इस घोषणा के बाद कई कानूनी और राजनीतिक सवाल सामने आ रहे हैं।

सबसे बड़ा सवाल यह उठाया जा रहा है कि राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (डब्ल्यूबीएसएससी) ने सुप्रीम कोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका के साथ ‘योग्य’ और ‘अयोग्य’ उम्मीदवारों की अलग-अलग सूची सौंपी है या नहीं। विपक्ष और कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह सूची अब तक कोर्ट को नहीं सौंपी गई है, तो यह पुनर्विचार याचिका मात्र समय बर्बाद करने की कवायद मानी जाएगी।

विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को सीधी चुनौती देते हुए पूछा है कि क्या राज्य सरकार और डब्ल्यूबीएसएससी ने पुनर्विचार याचिका के साथ अलग-अलग सूची दाखिल की है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सूची सौंपी है। यदि नहीं, तो यह साफ है कि सरकार सिर्फ समय खींच रही है और ‘निर्दोष’ अभ्यर्थियों को झूठी उम्मीदें दे रही है।”

वहीं माकपा सांसद और वरिष्ठ वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने मुख्यमंत्री के उस बयान पर भी सवाल खड़ा किया है जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार ‘अयोग्य’ कर्मचारियों की नौकरियां भी बचाने की कोशिश करेगी। भट्टाचार्य ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि ‘अयोग्य’ उम्मीदवारों की सेवाएं समाप्त की जाएं और उनसे वेतन की राशि वसूली जाए। ऐसे में सरकार कैसे एक कोर्ट के आदेश के हिस्से को माने और दूसरे को अनदेखा करे? यह नये सिरे से भ्रष्टाचार की आशंका को जन्म देता है।”

उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या जब राज्य सरकार नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर रही है, तो ऐसे में पुनर्विचार याचिका का कोई औचित्य रह जाता है? भट्टाचार्य का आरोप है कि राज्य सरकार सिर्फ समय काटने और भ्रम फैलाने की रणनीति अपना रही है।

अब देखना होगा कि 30 मई को प्रस्तावित नई भर्ती प्रक्रिया कितनी पारदर्शी होती है और सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका को लेकर क्या रुख सामने आता है। फिलहाल, ममता बनर्जी की इस घोषणा ने राज्य की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था में एक बार फिर हलचल पैदा कर दी है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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