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वक्फ धार्मिक मामला, सरकारी हस्तक्षेप स्वीकार नहींः दारुल उलूम

मौलाना अरशद मदनी व मौलाना कासिम नोमानी बांये से दांये

सहारनपुर, 5 अप्रैल (Udaipur Kiran) । संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पास हाेने पर इस्लामिक जगत में अहम स्थान रखने वाले मदरसा दारुल उलूम ने भी कड़ी प्रतिक्रया व्यक्त की है। देवबंद दारुल उलूम के मोहतमिम (कुलपति) मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा है कि यह मुस्लिम समुदाय के साथ एक धोखा है। वक्फ वक्फ मुसलमानों का धार्मिक मामला है, जिसमें सरकारी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जा सकता।

देवबंद में शुक्रवार की देर रात को पत्रकारों से बात करते हुए मोहतमिम ने कहा कि इस तरह के मामलों को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह एक तरह से मुस्लिमों के साथ बड़ा धोखा है। इससे पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने विधेयक पास होने पर धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। यह विधेयक संविधान पर सीधा हमला है।

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के दूसरे गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भी विधेयक का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। सरकार संख्या बल पर इसे पारित कराने में सफल रही है। वक्फ जायदादों को कब्जाने के लिए बनाए गए इस कानून पर कोर्ट रोक लगाएगा। उन्होंने अदालतों को अल्पसंख्यकों की आखिरी उम्मीद बताया।

(Udaipur Kiran) / MOHAN TYAGI

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