Uttar Pradesh

वक्फ संशोधन विधेयक स्वागत योग्य : राजू पोरवाल

वक्फ संशोधन विधेयक स्वागत योग्य; समाज के सभी वर्ग भेजें जेपीसी को अपने सुझाव : राजू पोरवाल

कानपुर,04 सितम्बर (Udaipur Kiran) । वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का स्वागत करते हुए विश्व हिन्दू परिषद कानपुर प्रान्त मंत्री राजू पोरवाल ने बुधवार को कहा कि, वास्तव में वक्फ अधिनियम देश के संविधान और कानून से ऊपर चलने वाला अधिनियम बनाया गया था, जिससे कि देश के आम नागरिकों के सभी प्रकार के अधिकार निलंबित हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम 1995 के तहत वक्फ बोर्ड को मौखिक वक्फ के सिद्धांत का उपयोग करके, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना, किसी भी व्यक्ति, किसी भी ट्रस्ट, सोसायटी या किसी गैर-मुस्लिम की किसी भी संपत्ति को घोषित करने के लिए बेलगाम और व्यापक अधिकार दिए गए हैं। वक्फ बोर्ड में अनिवार्य रूप से केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों का होना, भारत के संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र तथा न्यायपालिका की स्वतंत्रता दोनों के खिलाफ है। भारत में वक्फ संपत्तियां रक्षा और रेलवे के बाद तीसरे नंबर पर आती हैं। जुलाई 2020 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत भर में लगभग 6,59,877 पंजीकृत वक्फ संपत्तियां हैं जिनमें 8 लाख एकड़ से अधिक भूमि शामिल है।

उन्होंने कहा कि 2022 में सर्वोच्च न्यायालय ने एक अधिसूचना को रद्द कर दिया था जिसके द्वारा हैदराबाद में 1654 एकड़ भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ फैसलों में, जहां वक्फ बोर्ड ने कुछ संपत्तियों पर अधिकार का दावा किया था या बोर्डों द्वारा बेदखली के लिए कार्रवाई की गई थी, यह माना गया था कि वक्फ अधिनियम भ्रम पैदा कर रहा है और सबूत, समर्पण या उपयोगकर्ता के बिना, वक्फ बोर्डों द्वारा अधिकारों का दावा किया जाता है। वर्ष 2022 में वक्फ बोर्ड बनाम जिंदल सॉ लिमिटेड के एक अन्य हालिया फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि समर्पण या उपयोग के सबूत के अभाव में किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता है। एक अन्य उदाहरण में, अधिक चौंकाने वाला तमिलनाडु में त्रिची के पास तिरु चतुराई गांव सार्वजनिक रूप से सामने आया, जहां 1,500 साल पुराने चंद्रशेखर स्वामी मंदिर सहित हिंदुओं के पूरे गांव को तमिलनाडु वक्फ बोर्ड द्वारा गुप्त रूप से (पहले ही) वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया था।

आगे श्री पोरवाल ने बताया कि, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 भारत सरकार द्वारा स्वागत योग्य कदम है, इसमें वक्फ अधिनियम के हथियार से हिंदुओं और यहां तक कि मुसलमानों द्वारा झेले जा रहे अन्याय को सीमित सीमा तक दूर करने का प्रस्ताव है।

विधेयक में अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधनों का प्रस्ताव है, जिसमें केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना, राजस्व कानूनों के अनुसार म्यूटेशन के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया प्रदान करना, किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित सूचना देना, न्यायाधिकरण के आदेश की अपील का प्रावधान करना और अधिनियम की कठोर धाराओं जैसे 40, 107, 108 और 108 ए को हटाना शामिल है।

आगे श्री पोरवाल ने समाज के प्रबुद्ध वर्ग का आह्वान करते हुए कहा कि सभी धार्मिक सामाजिक शैक्षणिक संस्थाओं को अपने विचार तथा सुझाव जेपीसी को ईमेल के माध्यम से 13 सितंबर के पहले तक भेजने चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / रामबहादुर पाल

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