
नई दिल्ली, 09 जून (Udaipur Kiran) । साकेत सेशंस कोर्ट ने दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में मेधा पाटकर को एक लाख के जुर्माने के मामले पर सुनवाई टाल दिया है। एडिशनल सेशंस जज विशाल सिंह ने मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को करने का आदेश दिया।
साेमवार काे सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली हाई कोर्ट में सेशंस कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें फिलहाल सजा पर रोक लगाई गई है और हाई कोर्ट में 14 और 15 जुलाई को सुनवाई है। उसके बाद से कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को करने का आदेश दिया।
इसके पहले कोर्ट ने 25 अप्रैल को कोर्ट ने मेधा पाटकर को जमानत दिया था। 23 अप्रैल को साकेत कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने जुर्माने की एक लाख रुपए रकम जमा नहीं करने पर मेधा पाटकर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। सुनवाई के दौरान वीके सक्सेना के वकील ने कहा था कि न तो मेधा पाटकर ने जुर्माने की रकम जमा किया है और न ही कोर्ट में उपस्थित हुई हैं। उसके बाद कोर्ट ने मेधा पाटकर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया।
सेशंस कोर्ट ने 8 अप्रैल को दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दिए गए नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को राहत देते हुए एक साल के लिए परिवीक्षा पर रहने का आदेश दिया था। इसका मतलब है कि मेधा पाटकर को मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से मिली तीन महीने की जेल की सजा की जगह एक साल के लिए परिवीक्षा के तहत रहना होगा। कोर्ट ने मेधा पाटकर को अपने अच्छे आचरण की अंडरटेकिंग की शर्त पर परिवीक्षा के रहने की अनुमति दी थी।
मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था। गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था। बाद में 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दी थी। मेधा पाटकर ने 2011 में अपने को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही। वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में यह केस दायर किया था, उस समय वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
