नई दिल्ली, 04 सितंबर (Udaipur Kiran) । नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की सजा को चुनौती देने वाली याचिका पर वीके सक्सेना ने अपना जवाब दाखिल किया है। साकेत कोर्ट के सेशंस कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा गया है कि मेधा पाटकर की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। एडिशनल सेशंस जज विशाल सिंह ने मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान वीके सक्सेना की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से मेधा पाटकर को आत्मसमर्पण करने का निर्देश देने का आग्रह करते हुए कहा कि पाटकर की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे खारिज किया जाना चाहिए, क्योंकि मेधा पाटकर की याचिका पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं।
27 जुलाई को एडिशनल सेशंस जज विशाल सिंह ने जुडिशियल मजिस्ट्रेट के फैसले पर रोक लगाते हुए वीके सक्सेना को नोटिस जारी किया था। मेधा पाटकर ने जुडिशियल मजिस्ट्रेट की ओर से दी गई पांच महीने की कैद और दस लाख रुपये के जुर्माने की सजा को सेशंस कोर्ट में चुनौती दी है। जुडिशियल मजिस्ट्रेट ने एक जुलाई को मेधा पाटकर को सजा सुनाई थी। जुडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में अधिकतम सजा दो साल की होती है लेकिन मेधा पाटकर के स्वास्थ्य को देखते हुए पांच महीने की सजा दी जाती है। कोर्ट ने इस सजा पर 30 दिनों तक निलंबित रखने का भी आदेश दिया था।
कोर्ट ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ये साफ हो गया है कि मेधा पाटकर ने सिर्फ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ गलत जानकारी के साथ आरोप लगाए। 25 नवंबर, 2000 को मेधा पाटकर ने अंग्रेजी में एक बयान जारी कर वीके सक्सेना पर हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप लगाया था और उन्हें कायर कहा था। मेधा पाटकर ने कहा था वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे। ऐसा बयान वीके सक्सेना की ईमानदारी पर सीधा-सीधा हमला था।
मेधा पाटकर ने कोर्ट में दर्ज अपने बचाव में कहा था कि वीके सक्सेना वर्ष 2000 से झूठे और मानहानि वाले बयान जारी करते रहे हैं। पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना ने 2002 में उन पर शारीरिक हमला भी किया था, जिसके बाद मेधा ने अहमदाबाद में एफआईआर दर्ज कराई थी। मेधा ने कोर्ट में कहा था कि वीके सक्सेना कारपोरेट हितों के लिए काम कर रहे थे और वे सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों की मांग के खिलाफ थे।
मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था। गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था। बाद में 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिय था। मेधा पाटकर ने 2011 में अपने को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही। वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था तो उस समय वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे।
(Udaipur Kiran) /संजय
—————
(Udaipur Kiran) / पवन कुमार