नई दिल्ली, 17 दिसंबर (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी, मध्य प्रदेश के अध्यक्ष और खजुराहो से सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने मंगलवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित पत्रकार वार्ता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की उपलब्धियां गिनवाईं। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने शिक्षा का वामपंथीकरण, तुष्टीकरण किया था जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने शिक्षा का भारतीयकरण किया। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 से भारत की उच्च शिक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। नई शिक्षा नीति को लागू करते हुए शिक्षा को समावेशी, सुलभ और वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनाने की निरंतर प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया है।
नई शिक्षा नीति से छात्रों की संख्या में वृद्धि
भाजपा सांसद ने कहा कि इस शिक्षा नीति के लागू होने से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों की संख्या में भी 50.1 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है। नई शिक्षा से अनुसूचित जाति की महिला नामांकन में 61 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति में नामांकन में 75 और कुल महिला नामांकन में 96.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पूर्वांचल के क्षेत्र में भी महिलाओं की नामांकन संख्या में लगभग 43 प्रतिशत की वृद्धि होना क्षेत्र के लिए एक बेहतर प्रयास है। मान्यता प्राप्त कॉलेज की संख्या 2015 में 6241 से आज 2024 में 9807 हुई है। इसी प्रकार से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों की संख्या में नई शिक्षा नीति आने के बाद दोगुनी से अधिक 120 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
वीडी शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति लाने की प्रक्रिया 2015 से शुरू हुई थी, जिसमें ढाई लाख ग्राम पंचायतों, 6600 विकासखंड, 6000 नगरीय निकाय और 6 हजार 76 जिलों से करीब दो लाख सुझावों के बाद यह नई शिक्षा नीति लाने का कार्य किया गया है। नई शिक्षा नीति व्यक्ति के समग्र विकास, सभी को सुलभ शिक्षा देने और भारत में ज्ञान आधारित समाज बनाने की परिकल्पना को साकार करने के लिए बनाया गया है। केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में खेल आधारित शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
उन्होंने कहा, एनसीईआरटी द्वारा नई शिक्षा नीति के तहत जो पाठ्यक्रम, शिक्षा ढांचा तैयार किया गया है, वह बदलते समय के साथ छात्रों को शिक्षा देने के अनुकूल करने और 21वीं सदी की आवश्यकताओं को पूरा करने का कार्य करेगा। इनमें कला, विज्ञान, मानविकी विज्ञान को स्थान मिला है। इसमें मातृभाषा आधारित शिक्षा के महत्व को स्वीकार किया गया है। शिक्षा मातृभाषा, स्थानीय भाषा और क्षेत्रीय भाषा में स्किल डेवलपमेंट का पूरा समायोजन किया गया है।
उन्होंने बताया कि 2022 में उच्च शिक्षा संस्थानों में कुल फैकल्टी की संख्या में 12.1 प्रतिशत की वृद्धि एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही महिला फैकल्टी की संख्या में 29.1 की वृद्धि भी हुई है। 2014-15 में उच्च शिक्षा में 3.2 करोड़ नामांकन था, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 4.6 करोड़ हुआ है। महिला नामांकन में 30.4 प्रतिशत की वृद्धि होना यह दर्शाता है कि नई शिक्षा नीति लैंगिक समानता में भी वृद्धि हुई है। शर्मा ने बताया कि डिजिटल पहल के तहत एनसीआऱटी, सीबीएसई और 32 राज्यों औऱ केन्द्र शासित प्रदेशों में विद्या समीक्षा केन्द्र स्थापति किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षा को रोजगार के साथ जोड़ना है ताकि छात्र-छात्राओं को आवश्यक कौशल और ज्ञान मिले और बेहतर मौकों के लिए तैयार रह सके।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी