Madhya Pradesh

पुण्य को बांटा जा सकता है लेकिन पाप को नहीं वह स्वयं को भोगना हैः स्वामी आनन्दस्वरूपानंद सरस्वती

पुण्य को बांटा जा सकता है लेकिन पाप को नहीं वह स्वयं को भोगना है - स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती

मंदसौर, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा मंदसौर पर दिव्य चातुर्मास पूज्यपाद 1008 स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ऋषिकेश के सानिध्य में चल रहा है। स्वामी जी द्वारा प्रतिदिन प्रात: 8.30 से 10 बजे तक श्रीमद् भागवद् महापुराण के एकादश स्कन्द का का वाचन किया जा रहा है। शनिवार को धर्मसभा में स्वामी श्री आनन्द स्वरूपानंदजी सरस्वती ने कहा कि वेदों में जो कहा गया है उसका पालन हमें अपने जीवन में करना चाहिए और जो निषेध बताया गया है उसका उल्लघंन नहीं करना चाहिए। आपने कहा कि पुण्यों को बांटा जा सकता है लेकिन पाप को किसी को नहीं दिया जा सकता है पाप किया है तो उसको हमें भोगना है।

उन्होंने कहा कि यदि आपकों राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने वाला हो और आप न लो तो किसी ओर को देंगे लेकिन यदि आपको फांसी की सजा हो और आप कहो कि नहीं मुझे फांसी नहीं लेना तो क्यों वो नहीं देगे कहने का तात्पर्य यह है कि पुण्य को बांटा जा सकता है लेकिन पाप को नहीं इसलिए अच्छे कार्य करों शास्त्रो में जों निषेध बताया गया है वो कभी मत करों। उन्होंने कहा कि शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए। इससे मन शुद्ध होता है। अच्छे कर्म करों चोरी मत करों, किसी को धोका मत दों, किसी के साथ अभद्र व्यवहार मत करों। शास्त्र पढकर बुद्धि को अनुशासित करो। आपने कहा कि कथा को श्रद्धा के साथ श्रवण करना चाहिए कथा सुनते समय भी मन में जिज्ञासा होना चाहिए। मन को पवित्र करें भागवत कृपा का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

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(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया

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