
बाड़मेर, 1 जून (Udaipur Kiran) । राजस्थान के बाड़मेर जिले के चौहटन उपखंड के आगोर गांव में हिरणों के अवैध शिकार के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन रविवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। ग्रामीणों ने एक मृत हिरण और दो हिरण शावकों के शव को डीप-फ्रिज में सुरक्षित रखते हुए धरना शुरू किया है। उनका आरोप है कि क्षेत्र में सक्रिय एक शिकारी गैंग दर्जनों हिरणों का शिकार कर उन्हें कट्टों में भरकर ले गया, जिन्हें होटल व्यवसाय से जोड़ा जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि शिकारियों द्वारा एक कट्टे में हिरण शावकों को बुरी तरह ठूंसा गया था, जबकि एक वयस्क हिरण का शव घटनास्थल के पास ही फेंका गया था। यह मामला तब सामने आया जब शुक्रवार सुबह एक किसान ने पुलिया के नीचे संदिग्ध कट्टा देखा। खोलने पर उसमें से दुर्गंध आई और अंदर दो हिरण शावक मृत अवस्था में पाए गए।
वन्यजीव प्रेमी प्रकाश ने बताया कि पहले उन्हें लगा कि हिरण की मौत सड़क दुर्घटना में हुई होगी, लेकिन जब पास ही एक और मृत हिरण मिला और ग्रामीणों को शिकार की आशंका हुई तो वन्यजीव दया संघर्ष समिति के सदस्य जगदीश ढाका ने चौहटन थाने में मामला दर्ज कराया। इसके बाद हिरणों के शवों को डीप-फ्रिज में सुरक्षित रखकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया गया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला वन अधिकारी (डीएफओ) सविता दहिया, उपखंड अधिकारी (एसडीएम) कुसुमलता चौहान और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) नितेश आर्य ने धरना स्थल का दौरा किया और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की। प्रशासन ने तीन दिन के भीतर मामले का खुलासा करने का भरोसा दिलाया, जिसके बाद प्रदर्शन को आंशिक रूप से जारी रखने पर सहमति बनी। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि तय समय में कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन उग्र रूप ले सकता है।
डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि मामले की जांच के लिए अलग-अलग टीमें गठित की गई हैं और अब तक 15–16 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। उन्होंने कहा कि आसपास के इलाकों के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गए हैं, हालांकि अभी तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि क्षेत्र में संचालित मीट दुकानों की जांच की जाएगी और यदि हिरण मांस से संबंधित कोई प्रमाण मिलता है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वन्यजीव प्रेमियों और ग्रामीणों की मांग है कि इस मामले में संलिप्त व्यक्तियों की शीघ्र गिरफ्तारी हो और क्षेत्र में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सख्त निगरानी रखी जाए। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि हिरणों का शिकार केवल एक वन्य अपराध नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय आस्था पर भी आघात है।
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(Udaipur Kiran) / अखिल
