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विजय दिवस: भारत और बांग्लादेश के युद्ध नायकों ने साझा इतिहास को किया याद

– दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों की जताई उम्मीद

कोलकाता, 16 दिसंबर (Udaipur Kiran) । वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की ऐतिहासिक विजय की 53वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत और बांग्लादेश के युद्ध नायक और सैन्य अधिकारी कोलकाता में एकत्र हुए। विजय दिवस पर उन्होंने साझा इतिहास को याद किया और भविष्य में दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों की उम्मीद जताई।

भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) डी.जे. क्लेर ने युद्ध की स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि 53 साल बीत गए हैं, लेकिन यादें अब भी ताजा हैं। हमने उस समय कई वीर सैनिकों को खो दिया। मैं अपने कई मित्रों को खो चुका हूं। उस युद्ध में हमने बांग्लादेश को आजाद किया, वहां के लोगों को मुक्ति दिलाई और महिलाओं को अत्याचारों से बचाया। उन्होंने बांग्लादेश में मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वहां की स्थिति अब गंभीर है। कानून और व्यवस्था खराब है। खासतौर पर अल्पसंख्यक हिंदुओं को परेशानी हो रही है। ये लोग शांतिप्रिय नागरिक हैं।

बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, हमारे यहां मेहमान भगवान के समान माने जाते हैं। हम उनके दौरे के दौरान उनका पूरा सम्मान और सुरक्षा करेंगे।

भारतीय सेना के मेजर रथिंद्र कुमार भट्टाचार्य (सेवानिवृत्त) ने इस वार्षिक पुनर्मिलन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, हर साल यहां आना मेरे लिए घर लौटने जैसा लगता है। यह पुराने मित्रों और साथी नायकों से मिलने का अवसर होता है।

बांग्लादेश की स्थिति को लेकर उन्होंने आशावादी रुख अपनाते हुए कहा, यह केवल एक अस्थायी दौर है। अगले छह महीनों में स्थिति बेहतर हो जाएगी। भारत ऐसा कुछ भी नहीं करेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़े।

बांग्लादेश के मेजर जनरल आसिम ने साझा इतिहास को याद करते हुए कहा कि हमारी जीत का यह दिन दोनों देशों की विजय को दर्शाता है। यह हमें पाकिस्तान के कब्जे से मुक्ति दिलाने का प्रतीक है। भारतीय सेना के समर्थन से यह संभव हो सका। यह दिन हमारी स्थायी मित्रता का प्रतीक है और हमें इसे मजबूत करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।

बांग्लादेश के मेजर जनरल अब्दुल सलाम चौधरी (सेवानिवृत्त) ने अपने देश की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा, कुछ स्वार्थी गुट झूठी कहानियां फैलाते हैं लेकिन असल सच्चाई अलग है। भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध मजबूत हैं और हमेशा रहेंगे। अगर कोई इस पर शक करता है, तो उन्हें यह देखना चाहिए कि हम आज यहां एक साथ खड़े हैं।

विजय दिवस, 16 दिसंबर को 1971 के युद्ध में भारत की 13 दिन की ऐतिहासिक जीत को याद करने के लिए मनाया जाता है। यह वह दिन है जब पाकिस्तानी सेना ने ढाका में आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) का जन्म हुआ। इस वर्ष विजय दिवस के उपलक्ष्य में भारत के आठ युद्ध नायक और दो सेवारत अधिकारी ढाका में बांग्लादेश के विजय दिवस समारोह में भाग लेने पहुंचे। इसके बदले, बांग्लादेश से आठ ‘मुक्ति योद्धा’ और दो सेवारत अधिकारी कोलकाता में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। यह दिन न केवल युद्ध की यादों को ताजा करता है, बल्कि भारत और बांग्लादेश के बीच मित्रता और सहयोग के स्थायी संबंधों का भी प्रतीक है।

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(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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