HEADLINES

पूज्य संतों की अगवानी से विजयवाड़ा में प्रारंभ हुआ मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण से मुक्ति का जागरण अभियान

हैंदव संखारावम

विजयवाड़ा, 05 जनवरी (Udaipur Kiran) । एनटीआर जिले के गन्नावरम के पास केसरीपल्ली में ‘हैंदव संखारावम ‘(हिंदू धर्म का युद्ध घोष) नाम की एक जनसभा को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के तत्वावधान में आज रविवार को आयोजित किया गया। इस सभा में बड़ी संख्या में तेलुगु राज्यों के लोगों के साथ-साथ हिंदू धार्मिक, आध्यात्मिक और सेवा संघों के प्रतिनिधियों और प्रमुखों ने भाग लिया। इससे पहले सभा के उद्घाटन के दौरान विहिप नेताओं व अध्यक्षों ने भारत माता के चित्र पर ज्योति प्रज्ज्वलित की। विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोकनाथ और प्रांत व क्षेत्र पदाधिकारी उपस्थित रहे।

विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि ‘हैंदव संखारावम’ का आयोजन अन्य मुद्दों के अलावा ‘सनातन धर्म’ की सुरक्षा, हिंदू मंदिरों को धर्म के उल्लंघन से बचाने, मंदिर की संपत्तियों पर अतिक्रमण से बचाने और हिंदू धार्मिक संस्थानों में काम करने वाले गैर-हिंदुओं को अन्य विभागों में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हैंदव संखारावम हिंदुओं को जाति के आधार पर नहीं बल्कि धर्म के आधार पर एकजुट करेगा।

इस अवसर पर पूर्व सांसद और उद्योगपति गोकराजू गंगराजू ने कहा कि ‘हैंदव शंखरावम’ को हिंदू मंदिरों की स्वायत्तता की वकालत करने वाले एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में देखा जाता है और यह सरकार के समक्ष मांगों को प्रस्तुत करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। अयोध्या राम मंदिर के ट्रस्टियों और देशभर के स्वामियों सहित प्रमुख हस्तियां इस कार्यक्रम में भाग लिए, जिसके राजनीतिक रूप से तटस्थ होने और धार्मिक और सांस्कृतिक संरक्षण पर केंद्रित होने की उम्मीद है।

विश्व हिंदू परिषद के अनुसार, शंकरवम, हिंदू मंदिर स्वायत्तता के भविष्य के पाठ्यक्रम को निर्देशित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। आज लगभग 3,00,000 प्रतिभागियों के भाग लिए है, जिसमें 10 ट्रेनें, 5000 बसें, 10 हजार रें और 15 हजार बाइक सहित राज्य परिवहन और निजी ट्रेवल्स की बसें व्यवस्था में शामिल हैं।

इस सभा को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री और वर्तमान राजमहेंद्रवरम से सांसद दग्गुबाती पुरंदेश्वरी ने कहा कि पिछले पांच सालों में हिंदू धर्म पर जबरदस्त हमला हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के व्यवहार से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि वे आहत हिंदुओं की भावनाओं को सभी को समझाने के इरादे से बैठक कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ”राज्य में धर्मांतरण तेजी से हो रहा है।” पुरंदेश्वरी ने कहा कि मंदिरों की आत्मनिर्भरता और हिंदू धर्म का संरक्षण तभी संभव है, जब सभी को एक मंच पर साथ लाया जाएगा।

मशहूर फिल्म गीतकार अनंत श्रीराम ने कहा कि फिल्मों में हिंदू धर्म पर हमला लगातार हो रहा है। उन्होंने कहा कि वाल्मिकी रामायण और व्यास महाभारत भारतीय साहित्य की दो आंखों की तरह हैं। कहा जाता है कि मनोरंजन के लिए ऐसी चीजों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है। उन्होंने ऐसी फिल्मों, जो हिंदू धर्म का उल्लंघन करने वाली फिल्मों, का बहिष्कार करने को कहा। तब निर्माताओं को उन फिल्मों को पैसा नहीं मिलेगा और अगर उन्हें पैसा नहीं मिलेगा तो वे ऐसी फिल्में नहीं बनाएंगे जो हिंदू धर्म का उल्लंघन करती हों।

अनंत श्रीराम ने आरोप लगाया कि इतिहास को विकृत करके हिन्दू धर्म का दुरुपयोग किया जा रहा है। व्यास और वाल्मिकी के लेखन को मनोरंजन के लिए विकृत किया गया है। किरदारों का कद बदलने का मतलब हिंदू धर्म अपनाना नहीं है। रामायण और महाभारत, पुराणों में अपनी रुचि के अनुसार परिवर्तन किये गये। और हम मिथ्या धारणाएं और विकृतियां बनाते हुए केवल देख रहे हैं। फिल्मांकन और गायन में बहुत अपमान हुआ। सरकार को हिंदू धर्म का अपमान करने के लिए बनाई गई फिल्मों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए.. या फिर हिंदुओं को उनका पूर्ण बहिष्कार करना चाहिए, तभी हिंदू धर्म को सम्मान और पहचान मिलेगी।

पुष्पगिरी पीठाधीश चिन्ना जियर स्वामी ने अपने संदेश में कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की जानी जरूरी है कि मंदिर की संपत्ति का अब राजनीतिक या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि हिंदू पिछले 77 वर्षों से लगातार सरकारों द्वारा हिंदू मंदिरों के शोषण से परेशान है और उन्हें लगता है कि मंदिरों का प्रबंधन पूरी तरह से भक्तों द्वारा किया जाना चाहिए।

विहिप के अंतरराष्ट्रीय संगठन महासचिव मिलिंद श्रीकांत परांडे ने कहा कि विजयवाड़ा बैठक उनके अभियान की दिशा तय करेगी और मुख्य उद्देश्य हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराना है। उन्होंने कहा कि जबकि अल्पसंख्यकों के पास अपनी धार्मिक संस्थाओं के लिए स्वतंत्र प्रबंध निकाय है, वहीं भारत में बहुसंख्यक होने के बावजूद हिंदुओं के पास अपने मंदिरों के प्रबंधन के लिए स्वतंत्र निकाय नहीं है। परांडे ने आगे कहा कि मंदिरों की संपत्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, क्योंकि अदालतों ने कानूनी प्रस्ताव तय कर दिया है कि मंदिर में देवता की पूजा के अलावा अन्य सभी गतिविधियां धर्मनिरपेक्ष हैं। उन्होंने कहा कि यह भेदभाव के अलावा और कुछ नहीं है, क्योंकि अन्य धर्मों के लिए ऐसी प्रथाएं मौजूद नहीं हैं।

परांडे ने कहा कि विहिप मंदिरों और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा की आवश्यकता के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मंदिरों में आने वाले चढ़ावे का उपयोग केवल धार्मिक गतिविधियों के लिए किया जाना चाहिए, लेकिन सरकारें मंदिर के धन को अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर प्रबंधन समितियों के लिए समर्पित व्यक्तियों का चयन करने के लिए एक व्यवस्था होनी चाहिए और उस प्रक्रिया में किसी भी तरह का सरकारी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

————–

(Udaipur Kiran) / नागराज राव

Most Popular

To Top