
जौनपुर,12 मई (Udaipur Kiran) । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नई पहल करने जा रहा है। विश्वविद्यालय परिसर में मियावाकी विधि से जैव विविधता युक्त घने जंगल का निर्माण किया जाएगा।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों को कम भूमि में अधिक हरियाली विकसित करने के लिए मियावाकी तकनीक अपनाने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ के 102वें एपिसोड में इस पद्धति का जिक्र किया था।
मियावाकी तकनीक जापान के वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित की गई है। इस विधि में स्थानीय प्रजातियों के पौधों को एक-दूसरे के बहुत करीब लगाया जाता है। इससे पौधों की वृद्धि तेज होती है। शोध बताते हैं कि मियावाकी जंगल पारंपरिक पौधरोपण से 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं और 30 गुना अधिक घने होते हैं।
यह पद्धति स्थानीय जैव विविधता को पुनर्जीवित करती है। यह भूमि की गुणवत्ता में सुधार करती है। साथ ही वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाती है। विश्वविद्यालय में इस पहल से छात्र-छात्राओं में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी। परिसर का पर्यावरण भी संतुलित रहेगा। इस तरह के प्रयोग के संबंध में सोमवार को बात करते हुए कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि यह पहल केवल हरियाली नहीं बढ़ाएगी। यह भविष्य की सांसों को संजीवनी देगी। उनका उद्देश्य है कि विद्यार्थी प्रकृति से जुड़ें और उसकी नब्ज को समझें। वे जीवन, संवेदना और सह-अस्तित्व की वह शिक्षा प्राप्त करें, जो किसी पाठ्यक्रम में नहीं मिलती।
(Udaipur Kiran) / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
