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वयोवृद्ध कांग्रेस नेता रनोज बसु नहीं रहे

रनोज बसु का फाइल फोटो

नई दिल्ली, 31 मार्च (Udaipur Kiran) । कांग्रेस पार्टी की छह दशक तक सेवा करने वाले पार्टी के वयोवृद्ध नेता रनोज बसु (98) नहीं रहे। उन्होंने आज यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आखिरी सांस ली। वह उम्र जनित बीमारियों से पीड़ित थे।

रनोज बसु के परिवार में दो पुत्रियां सोमा बसु और मल्लिका हैं। सोमा पेशे से पत्रकार हैं और मल्लिका का अपना कारोबार है। उनकी पत्नी का करीब तीन दशक पहले निधन हो गया था। सोमा ने (Udaipur Kiran) को बताया कि निधन के बाद रनोज बसु की पार्थिव देह एम्स को दान दे दी गई, ताकि वह मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों के काम आ सके।

रनोज बसु 1951 में कांग्रेस पार्टी में कांग्रेस अध्यक्षों के स्थायी सचिव एमपी भार्गव और जवाहरलाल नेहरू के संसदीय कर्तव्यों को देखने वाले पीआर चक्रवर्ती के सहायक के रूप में शामिल हुए। वे छह दशकों से अधिक समय तक कांग्रेस से जुड़े रहे। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्हें कांग्रेस पार्टी का क्षेत्रीय प्रतिनिधि बनाया गया और बाद में प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने उन्हें विशेष कार्य अधिकारी बनाया और 1995 में उन्हें स्थायी सचिव के पद पर पदोन्नत किया, जिसे उन्होंने 2011 में अपनी सेवानिवृत्ति तक बरकरार रखा।

कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने बसु के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह शतक से दो साल पहले ही दुनिया से चले गए। यह एक लंबी और उल्लेखनीय पारी थी। वे 1951 में कांग्रेस संगठन में शामिल हुए और इसके स्थायी सचिव बने। इस पद पर वे पंद्रह साल तक रहे, और अंततः 2011 में सेवानिवृत्त हुए। वे न केवल पार्टी के लंबे इतिहास के साक्षी थे, बल्कि एक दुर्जेय विश्वकोश भी थे। वे व्यक्तित्वों और घटनाओं को आसानी से याद कर सकते थे और अपने अंतिम समय तक सार्वजनिक मामलों में रुचि रखते थे।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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