Chhattisgarh

बहुत जल्द मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि और ज्ञानवापी भी हमारा होगा-विष्णु शंकर जैन

राष्ट्र गौरव का पुनर्जागरण व्याख्यान

रायपुर, 25 अगस्त (Udaipur Kiran) ।राजधानी में रविवार को कुंदनलाल जैन विचार मंच की ओर से आयोजित में “राष्ट्र गौरव का पुनर्जागरण व्याख्यान” कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राम जन्मभूमि, कृष्ण जन्म भूमि और ज्ञानवापी मामलों में मुख्य अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि बहुत जल्द मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि और ज्ञानवापी भी हमारा होगा ।

मेडिकल कॉलेज स्थित ऑडिटेरियम में जैन मुनि विराग और आर एस एस के मध्य क्षेत्र के संघचालक पूर्णेदु सक्सेना के साथ बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सनातन समाज अपने धर्म के लिए जाग जाए।देश में 22 जनवरी 2024 (अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा) जैसा दिन फिर से आएगा। मंदिरों में दिए गए दान पर सरकार का हक़ है, लेकिन मस्जिदों में नहीं।उन्होंने जानकारी दी कि इसको लेकर देश के अलग-अलग राज्यों में कई जनहित याचिकाएं दर्ज है ।

उपस्थित नागरिकों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कर्नाटक में 34 हज़ार मंदिर सरकार ने अधिग्रहित किया है। जिन मंदिरों में चढ़ावा ज़्यादा होता है, उन्हीं मंदिरों को सरकार अधिग्रहित करती है।लेकिन मस्जिदों में अधिग्रहित नहीं करती है। मिस मैनेजमेंट के नाम पर सरकार मंदिरों को अधिग्रहित करती है, क्या यह मिस मैनेजमेंट मस्जिदों में नहीं दिखता।

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि मंदिर तोड़ने से देवता का अस्तित्व खत्म नहीं होता. देवता की संपत्ति के साथ कोई समझौता नहीं होगा. इस समय साजिश चल रही है कि जैन हिंदू समाज से अलग है।

वक्फ बोर्ड बिल पर विष्णु शंकर जैन ने कहा इसके लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहिए। सरकारी संपत्ति को वक्फ अपनी संपत्ति नहीं कह सकती। बिल से वक्फ के अधिकार को शून्य करने का काम किया है।उन्होंने कहा कि कुछ नेता बांग्लादेश जैसी घटना देश में होने की बात कहते हैं। केंद्र सरकार को ऐसे बयान देने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए।श्री जैन ने कहा कि सेल्फ डिफेंस के लिए वैध तरीके से हमें आर्म्स वेपन रखना चाहिए। इसके साथ ही संविधान में अनुच्छेद 30 A पर अल्पसंख्यकों के अधिकार पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि रोहिंग्या देश में दीमक की तरह घुसे हुए हैं, इन्हें बाहर करना होगा। वहीं कश्मीरी पंडितों को भी बसना जरूरी है।

(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा / गायत्री प्रसाद धीवर

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