-वेदों के अनेक मंत्रों में विमान के लिए दिव्य रथ या आकाशीय नौका के जरिये अन्तरिक्ष यात्रा का उल्लेख
प्रयागराज, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । झूंसी स्थित श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय के छात्रों ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024 की थीम “अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और इसके अनुप्रयोगों का अतीत, वर्तमान और भविष्य“ पर यू.आर राव सैटेलाइट सेंटर (अंतरिक्ष विभाग, इसरो) द्वारा वेद विद्यालय में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों और अंतरिक्ष से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर पोस्टर और निबंध, मॉडल बिल्डिंग, क्विज एवं पेंटिंग प्रतियोगिता हुई।
यह प्रतियोगिता 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह का हिस्सा है। इस दौरान वेद छात्रों को अंतरिक्ष के रहस्यों से अवगत कराने के लिए एक वीडियो स्लाइड के माध्यम से भारतीय चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर के चंद्रतल तक सफलतापूर्वक लैंड करने के रोमांचकारी सफर को भी दिखाया गया।
वेद छात्रों ने ब्रह्मांड के रहस्यों के बारे में कई सवाल पूछे, जिनके उत्तर देते हुए विद्यालय के वैदिक विद्वानों ने कहा कि वेदों में सभी विधाओं के सूत्र विद्यमान हैं। वेदों में जहां धर्म, नीतिशिक्षा, सामाजिक शास्त्र, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, आयुर्वेद आदि से सम्बद्ध पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है, वहीं विज्ञान के विविध अंगों भौतिकी, रसायन, वनस्पतिशास्त्र, जन्तुविज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, गणितशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, वृष्टिविज्ञान, मनोविज्ञान, पर्यावरण एवं भूगर्भविज्ञान से संबंधित सामग्री मिलती है। इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने भी उज्जैन में अपने एक वक्तव्य में बताया था कि वेदों में अंतरिक्ष विज्ञान के सिद्धांत मिलते हैं। वेदों के अनेक मंत्रों में अन्तरिक्ष यात्रा का उल्लेख है। विमान के लिए दिव्य रथ या आकाशीय नौका आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है। एक मंत्र में आकाश में विचरण करने वाली आकाशीय नौका का उल्लेख है।
वेद विद्यालय के प्राचार्य ब्रजमोहन पाण्डेय ने कहा कि ऋग्वेद, शतपथ ब्राह्मण आदि ग्रन्थों में नक्षत्र, चंद्रमास, सौरमास, मलमास, ऋतु परिवर्तन, उत्तरायण, दक्षिणायन, आकाश चक्र, सूर्य की महिमा, कल्प का माप आदि के संदर्भ में अनेक उद्धरण मिलते हैं। यजुर्वेद में 18 अध्याय के 40वें मंत्र में बताया गया है कि सूर्य किरणों के कारण चंद्रमा प्रकाशमान है। वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि दृश्यमान सूर्य के सदृश अंतरिक्ष में अनेक सूर्य हैं तथा उनकी परिक्रमा अन्य आकाशीय पिण्ड कर रहे हैं। ऋग्वेद में यह बात हजारों साल पहले ही कह दी गयी कि “सप्त दिशो नानासूर्याः, देवा आदित्या ये सप्त।“ अथर्ववेद में भी यही बात कही गयी है-यस्मिन् सूर्या अपिताः सप्त साकम्। मैत्रेयी उपनिषद में सूर्य और सात ग्रहों का वर्णन है। खगोल विज्ञान के बारे में जानकारी देने वाले वैदिक ग्रन्थ गार्गी संहिता व बृहत्संहिता हैं।
विद्यालय के शिक्षक अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन की सफलता अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की एक बड़ी उपलब्धि है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सफल सॉफ्ट लैन्डिंग पर देश के वैज्ञानिकों की टीम की कड़ी मेहनत है। जिस पॉइंट पर विक्रम लैंडर उतरा है वह पॉइंट ‘शिव शक्ति पॉइंट’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैन्डिंग करवाकर शानदार सफलता हासिल करने वाला दुनिया का पहला और चंद्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश बन गया है। प्रतियोगिता में वेद छात्र सिद्धार्थ त्रिपाठी, संदीप शुक्ला, उमंग पाण्डेय, अस्मित त्रिपाठी, अनुभव पाण्डेय, प्रतीक तिवारी, उत्तम द्विवेदी, दिव्यांशु शुक्ला आदि रहे।
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र / Siyaram Pandey