Uttar Pradesh

वाराणसी: असत्य पर सत्य के विजय का पर्व विजयादशमी धूमधाम से मना, धूं धूं कर जले रावण

मलदहिया में रावण के पुतले का दहन,इसके पूर्व राम रावण के बीच युद्ध: फोटो बच्चा गुप्ता
मलदहिया में रावण के पुतले का दहन,इसके पूर्व राम रावण के बीच युद्ध: फोटो बच्चा गुप्ता

-बरेका में पूर्वांचल के सबसे बड़े दशानन के 75 फीट ऊंचे पुतले का आतिशबाजी के बीच दहन

वाराणसी, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी में शनिवार को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक विजय दशमी पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया। रामलीला में जगह-जगह भगवान राम और लंकापति रावण के बीच घनघोर युद्ध में प्रतीक रूप से रावण के मरते ही रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के विशाल पुतले आतिशबाजी के बीच जलाए गए। वाराणसी में सबसे पहले मलदहिया चौराहे पर रावण का पुतला दहन किया गया। समाज सेवा संघ की ओर से आयोजित रामलीला में प्रभु श्रीराम ने भाई लक्ष्मण और हनुमान के साथ रावण से युद्ध किया और फिर उसका वध किया। इसके बाद विशालकाय पुतले में आग लगते ही रावण धूं-धूं कर जलने लगा और पूरा इलाका श्रीराम चंद्र की जय के नारों से गूंज उठा। इस दौरान पूरा मलदहिया क्षेत्र राजा राम की जय के नारों से गूंज उठा।

बरेका रामलीला में शहर उत्तरी के विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रविन्द्र जायसवाल भी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस दौरान राज्यमंत्री ने कहा कि आज पूरी काशी राममय हो गई है। चहुंओर राजा रामचंद्र जी की जयकार हो रही है। अहंकाररूपी रावण का दहन किया जा रहा है। यहां भौतिक रूप से रावण के पुतले का दहन किया जा रहा है, लेकिन लोगों के मन के अंदर विचारों का जो रावण है, उसे लोग खुद जलाएं। इसी तरह बनारस रेल इंजन कारखाना के खेल मैदान में पूर्वांचल का सबसे ऊंचा 75 फीट ऊंचा रावण, मेघनाथ, कुंभकरण के पुतले उल्लासपूर्ण माहौल में जलाए गए।

पुतला दहन के पहले खेल मैदान पर रामलीला में तीन घंटे के रूपक का मंचन हुआ। मैदान में अयोध्या, लंका, किष्किंधा पर्वत, समुद्र, अशोक वाटिका समेत कई स्थानों को तैयार किया गया। श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान, रावण, कुंभकर्ण बने कलाकारों ने जीवंत प्रस्तुति दी। राम वन-गमन, सीता हरण, लंका दहन, लक्ष्मण पर शक्ति प्रयोग, राम विलाप, सीता अग्निपरीक्षा आदि विविध प्रसंगों को जीवंत देख मैदान पर मौजूद लीला प्रेमी और बच्चे आह्लादित दिखे। इसके बाद रावण के विशालकाय 75 फीट ऊंचे पुतले का दहन किया गया। रावण, मेघनाथ, कुंभकर्ण के पुतले के दहन के दौरान जमकर आतिशबाजी होती रही। इस दौरान खेल मैदान पर सुरक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया था। श्रद्धालुओं को बैठने के लिए कुर्सियां लगाई गई थीं।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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