नैनीताल, 10 जनवरी (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने कालागढ़ डैम के आसपास बने भवनों को ध्वस्त किये जाने के मामले में जिलाधिकारी पौड़ी के आदेश पर रोक बरकरार रखते हुए जिलाधिकारी को 11 फरवरी को तलब किया है। काेर्ट ने जिलाधिकारी काे शुक्रवार काे ही काेर्ट में पेश होने को कहा था, लेकिन वे पेश नहीं हुए थे। जिस पर हाई कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई।
शुक्रशार काे मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्द्र एवं वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सनुवाई हुई। मामले के अनुसार कालागढ़ विकास एवं उत्थान समिति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि 1961 कालागढ़ डैम बनाने के लिए वन विभाग ने सिंचाई विभाग को करीब 22 हजार एकड़ भूमि दी थी। तब शर्त रखी गई थी कि जितनी भूमि की डैम के लिए जरूरत होगी, उतनी ही भूमि प्रयोग में ली जाएगी। शेष भूमि वन विभाग को वापस कर दी जाएगी। अभी तक शेष भूमि वन विभाग को वापस नहीं हुई और उसमें टाउनशिप बन गई। जिसके खिलाफ 1999 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर हुई थी। तब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार से अतिक्रमण हटाने को कहा था, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हुआ। जिसके बाद दिसंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने केएन गोदावरन मामले में पुनर्वास व विस्थापन की व्यवस्था के साथ अतिक्रमण हटाने को कहा था। 2017 में यह मामला एनजीटी के समक्ष पहुंचा। तब स्थानीय प्रशासन ने एक साल के भीतर अतिक्रमण हटाने का अंडरटेकिंग एनजीटी को दिया था। इस बीच जिलाधिकारी पौड़ी ने 18 दिसंबर को नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर अतिक्रमणकारियों को वहां से हटने को कहा था और 4 जनवरी को अतिक्रमण हटाने के लिए पुलिस तैनात कर दी गई और भवन ध्वस्त कर दिए। याचिकाकर्ता ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि प्रभावितों के पुनर्वास की व्यवस्था किए बिना ही उन्हें हटाया जा रहा है। 7 जनवरी को हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी थी और शुक्रवार काे उन्हें कोर्ट में तलब किया था, लेकिन वे आज कोर्ट में पेश नहीं हुए। अब काेर्ट ने पाैड़ी के जिलाधिकारी काे 11 फरवरी को काेर्ट में पेश हाेने के आदेश दिया।
(Udaipur Kiran) / लता नेगी
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(Udaipur Kiran) / लता