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उर्स आध्यात्मिक कार्यक्रम है, मेला नहीं- सरवर चिश्ती

उर्स के आध्यात्मिक कार्यक्रम है यह कोई मेला नहीं— सरवर चिश्ती
उर्स के आध्यात्मिक कार्यक्रम है यह कोई मेला नहीं— सरवर चिश्ती

-ख्वाजा गरीब नवाज का 813 वां सालाना उर्स का कार्यक्रम जारी

अजमेर, 23 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह का 813 वां सालाना उर्स चांद दिखाई देने पर 29 दिसम्बर से शुरू होगा। उर्स के लिए व्यापक कार्यक्रम सोमवार को अजमेर में खुद्दाम ए ख्वाजा अंजुमन के पदाधिकारियों ने जारी किया। अंजुमन सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज का 813 वां सालाना उर्स एक आध्यात्मिक कार्यक्रम है, यह कोई मेला नहीं है। उन्होंने कहा कि इस आध्यात्मिक कार्यक्रम में बहुत से रस्म होती हैं। इनमें मुख्य रूप से छठी की रस्म होती है जो छोटे कुल पर होगी और बड़ा कुल 9 रजब को होगा यही उर्स कहलाता है। उर्स के दौरान दिन में दो बार ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की मजार शरीफ पर ग़ुस्ल दिया जाता है वह एक सुबह एक शाम को होता है। सुबह दिया जाने वाला

ग़ुस्ल सिर्फ खुद्दाम ए ख्वाजा द्वारा दिया जाता है जबकि शाम को दिए जाने वाले

ग़ुस्ल में दरगाह दीवान और अन्य ओहदेदार भी शामिल होते हैं। उन्होंने बताया कि उर्स के दौरान जायरीन के लिए जन्नती दरवाजा खुद्दाम ए ख्वाजा द्वारा खोला जाता है। ऐसा साल में साल में चार बार होता है। उन्होंने बताया कि उर्स के आरंभ में दिल्ली से ख्वाजा गरीब नवाज के दीवाने पीर, फकीर, कलंदर उर्स का निशान लेकर पैदल चल कर आते हैं जिनका यहां खुद्दाम ए ख्वाजा की ओर से स्वागत किया जाता है। इसी के जरिए पूरे मुल्क में ख्वाजा के सालाना उर्स की सूचना पहुंचती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उर्स शुरू होने को है पर प्रशासनिक इंतजाम मुकम्मल नहीं हैं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / संतोष

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