जयपुर, 19 जुलाई (Udaipur Kiran) । नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को धृतराष्ट्र कहने के मामले में सदन में जमकर हंगामा हुआ।हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही पहले एक घंटे और फिर आधे घंटे के लिए स्थगित करना पड़ी। हालांकि बाद में विधानसभा में गतिरोध दूर हो गया। अब सदन में स्वास्थ्य की अनुदान मांगों पर बहस चल रही है।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदन में गतिरोध दूर होने के बाद कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी के ठाकुर का कुआं कविता पढ़ने, नेता प्रतिपक्ष और मंत्री अविनाश गहलोत की टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से निकालने के आदेश दिए। विधानसभा में गतिरोध दूर होने के बाद देवनानी ने कहा कि मेरी राजनीति में रुचि नहीं थी, फिर भी राजनीति में आया तो हर किसी के साथ समानता का व्यवहार किया। अध्यक्ष बनने के बाद भी मैंने सबका ध्यान रखा। घर परिवार में भी यह होता है कि बड़े बेटे को लगता है कि छोटे का ज्यादा ध्यान रखते हो, यही सदन में भी होता है।
उन्होंने कहा कि पक्ष-विपक्ष को भी यह लग सकता है। पक्ष और विपक्ष के सभी विधायक भी नियम परंपराओं का ध्यान रखें। हम बड़ों और दायित्वों का सम्मान नहीं करेंगे तो हमारे बच्चे भी हमारा सम्मान नहीं करेंगे। अगर कोई बात हो तो मेरे चैंबर में आकर बात कर लीजिए, समाधान हो जाएगा। देवनानी ने सदन में गतिरोध दूर होने के बाद तीन नेताओं के कमेंट्स को सदन की कार्यवाही से हटाने के आदेश दिए। देवनानी ने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली की टिप्पणी और कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी के ठाकुर का कुआं कविता पढ़ने वाले हिस्से को कार्यवाही से निकाल दिया गया है।
इससे पहले शून्यकाल की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष जूली ने अनुदान मांगों पर जवाब के दौरान हुए हंगामे और मंत्रियों के आचरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कल जिस तरह मंत्रियों ने आचरण किया, असंसदीय शब्द बोले उन्हें कार्यवाही से नहीं निकाला। इसलिए बाहर जाकर बोलने की नौबत आई। जूली ने कहा कि अध्यक्षजी, आपका झुकाव विपक्ष की तरफ रहना चाहिए, लेकिन हम देखते हैं कि आपका झुकाव सत्ता पक्ष की तरफ रहता है। स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा कि तो क्या आप आसन को धृतराष्ट्र कहेंगे। मुझे आपने धृतराष्ट्र कहा, आसन के प्रति इस तरह की टिप्पणी शर्मनाक है। इस पर माफी मांगनी चााहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि माफी मांगने में कोई बुराई नहीं है। स्पीकर ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को अपने नेताओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। मैं सभी के साथ सहयोग करता हूं, लेकिन फिर भी आरोप लगाते हैं तो लगाते रहिए, मैं इन सभी आरोपों का खंडन करता हूं। स्पीकर ने जब अविश्वास प्रस्ताव लाने की चुनौती दी तो दोनों के बीच नोकझोंक हो गई। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जहां तक अविश्वास प्रस्ताव की बात है, तो जरूरत पड़ी तो वो भी ले आएंगे। इस पर हंगामा हो गया। कई मंत्री और भाजपा विधायकों ने खड़े होकर आपत्ति की, मंत्रियों ने कहा कि हम भी विपक्ष में थे तब हमने देखा है हमारे साथ कैसा भेदभाव होता था। आसन पर पक्षपात के आरोप सहन नहीं करेंगे। हंगामा बढ़ता देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी।
(Udaipur Kiran) / रोहित