प्रयागराज, 12 नवम्बर (Udaipur Kiran) । प्रतियोगी छात्रों की सुविधा और परीक्षाओं की शुचिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए लोक सेवा आयोग के प्रवक्ता ने कहा है कि यह पहला आयोग है जहां प्रतियोगी छात्रों का हित सुनिश्चित किया जाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। उनकी अपेक्षाओं, आशाओं और आवश्यकताओं का पूरा सम्मान किया जाता रहा है। उप्र लोक सेवा आयोग सभी प्रतियोगी छात्रों को एक पारदर्शी और शुचितापूर्ण चयन प्रक्रिया की व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए संकल्पित है। समय-समय पर व्यवस्था-परीक्षा प्रणाली में सुधार भी किया जाता रहा है।
आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि अभ्यर्थियों की सुविधा और बदलते दौर की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए पीसीएस की मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय हटाने का अभूतपूर्व निर्णय लिया गया। प्रतियोगी छात्रों को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि स्केलिंग की वजह से मानविकी विषयों और हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के नंबर कम हो जाते हैं और विज्ञान एवं अंग्रेजी के अभ्यर्थियों के अंक बढ़ जाते हैं। अब वैकल्पिक विषय हट जाने से इस शिकायत का निराकरण हो गया है। उपरोक्त व्यवस्था का परिणाम यह हुआ कि अभ्यर्थियों के लम्बे समय से स्केलिंग हटाने की मांग पूर्ण हुई और अपारदर्शी प्रणाली समाप्त हुई।
आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व में लागू स्केलिंग प्रणाली को छात्रों के आग्रह पर समाप्त किया गया है। वर्तमान आयोग ने इस व्यवस्था को पारदर्शी बनाया है। पूर्व में पीसीएस की प्रारम्भिक परीक्षा में एक पद के सापेक्ष में 13 गुना अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा हेतु सफल घोषित किया जाता था। आयोग ने इसे बढ़ाकर 15 गुना कर दिया है ताकि अधिक अभ्यर्थियों का भला हो सके। इंटरव्यू में एक पद के सापेक्ष दो अभ्यर्थियों को साक्षात्कार हेतु सफल घोषित किया जाता था। अब एक पद के सापेक्ष तीन अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में बुलाया जा रहा है।
आयोग ने नॉर्मलाइजेशन का फॉर्मूला पारदर्शी तरीके से प्रतियोगी छात्रों के बीच रखा। जहां किसी एक विज्ञापन के सापेक्ष एकाधिक दिवसों-पालियों में परीक्षायें आयोजित करायी जाती हैं। वहां परीक्षा के मूल्यांकन के लिए प्रसामान्यीकरण की प्रक्रिया अपनायी जानी आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नीट परीक्षा हेतु गठित राधाकृष्णन कमेटी द्वारा भी दो पालियों में परीक्षा कराने की अनुशंसा की गई है, वहीं, पुलिस भर्ती परीक्षा भी कई पालियों में कराई गई।
आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि पूरी व्यवस्था में न्यूनतम हयूमन इंटरफेयरेन्स सुनिश्चित किया जा रहा है। सब कुछ सिस्टम ड्रिवेन है। तकनीक का उपयोग कर व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाया गया है। मूल्यांकन में रोल नंबर को फेक नंबर में परिवर्तित कर नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया की जाएगी, जिससे किसी अभ्यर्थी का रोल नंबर मालूम नही चलेगा एवं मूल्यांकन प्रक्रिया पूर्ण रुप से पारदर्शी होगी। आयोग, अभ्यर्थियों के सुझावों का स्वागत करता है और जिसको भी उसके संदर्भ में कोई सुधार-सुझाव और बेहतर व्यवस्था हो, वह अभ्यर्थी दे सकते हैं। जिससे कि लब्धप्रतिष्ठित विशेषज्ञों की समिति के समक्ष सारी चीज रखी जाएगी और जो शुचिता गुणधर्मिता, अभ्यर्थियों के हित में आवश्यक होगा, उसका पालन किया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र