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(अपडेट) ईशा फाउंडेशन की जांच के लिए मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम रोक

Suprem Court File Photo

नई दिल्ली, 03 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन की जांच के लिए मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने ये मामला मद्रास हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया था कि वो ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों का ब्योरा पेश करें। दरअसल आज वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मामले को मेंशन करते हुए मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की।

रोहतगी ने कहा कि ये धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे हैं। यह एक बहुत जरूरी और गंभीर मामला है। यह ईशा फाउंडेशन के बारे में है। एक सद्गुरु हैं जो बहुत पूजनीय हैं और उनके लाखों अनुयायी हैं। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट मौखिक बयानों पर ऐसी जांच शुरू नहीं कर सकता।

दरअसल ईशा फाउंडेशन पर दो महिलाओं को अवैध रुप से बंधक बनाने का आरोप है। आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों महिलाओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात की। बातचीत के बाद कोर्ट ने बताया कि दोनों महिलाएं 24 और 27 साल की उम्र में आश्रम में शामिल हुई थीं और अपनी मर्जी से ईशा फाउंडेशन के आश्रम में रह रही हैं और वे आश्रम से बाहर जाने को स्वतंत्र हैं। उनके माता-पिता भी उनसे मिलने आते रहे हैं। कोर्ट ने एक महिला से पूछा कि क्या आपको मालूम है कि आपके पिता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर किया है तब महिला ने कहा कि हां, हम इस मामले में हाई कोर्ट में उपस्थित थे और हमने बताया था कि हम अपनी इच्छा से आश्रम में रह रहे हैं।

मद्रास हाई कोर्ट ने 30 सितंबर को डॉ एस. कामराज की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया था। डॉ कामराज ने कहा था कि उनकी बेटियों को आश्रम में बंदी बनाकर रखा गया है और उन्हें रिहा किया जाए।

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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा

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