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(अपडेट) अंग्रेजी भाषा ने हमारे समाज और संस्कृति को काफी नुकसान पहुंचाया: ऋतेश्वर जी महाराज

भाषाई कला संगम में अतिथि: फोटो बच्चा गुप्ता
भाषाई कला संगम में अतिथि: फोटो बच्चा गुप्ता

-भाषा में इतिहास और संस्कृत का समावेशः विजय सिन्हा

– (Udaipur Kiran) के भाषाई कला संगम में देश के दिग्गज लोक कलाकार सम्मानित

वाराणसी, 14 सितम्बर (Udaipur Kiran) । श्री आनंदम धाम ट्रस्ट वृंदावन मथुरा के ऋतेश्वर जी महाराज ने शनिवार को कहा कि सिर्फ पढ़ लेने से डिग्री आ जाती है, आदमी आर्थिक रूप से सफल भी होता है, लेकिन सफलता का मानक यह नहीं है बल्कि सफलता का मानक है लोग जब आनंदित हों, वही सफल है। जो तनाव में है वो असफल है।

ऋतेश्वर जी महाराज बहुभाषी न्यूज एजेंसी ‘ (Udaipur Kiran) ’ के तत्वावधान में श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर स्थित त्रियंबकेश्वर सभागार में आयोजित भाषाई कला संगम 2024 को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने आर्शीवचन में कहा कि अंग्रेजी भाषा ने हमारे समाज और संस्कृति को काफी नुकसान पहुंचाया है। अगर हम अपनी क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान नहीं करेंगे तो देश खंड-खंड होने के कगार पर होगा। उन्होंने कहा कि भाषा हमारे संस्कारों को बचाने का काम करती है। बांग्लादेश में भी ऐसी ही एक स्थिति बनी लोगों ने अपनी जान गंवाई, अस्मिता तक लुट गई लेकिन उन्होंने भाषा को बचाकर एकजुटता का प्रमाण दिया। उन्होंने पूर्व में विदेशी हमलावरों का जिक्र करते हुए कहा कि मुगल अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण कर सिर्फ लोगों को नहीं मारा, बल्कि नालंदा को ध्वस्त कर लोगों की सोच को मारने का काम किया गया। एक ही दिन में एक लाख लोगों को सिर्फ इसलिए मारा गया कि उसके गुप्तचरों ने कहा कि इन्हें वो पुस्तकें कंठस्त हैं, जिन्हें हमने जला दिया है। तब खिलजी ने सभी को हलाक करा दिया। ऋतेश्वर जी महाराज ने कहा कि आज सबसे भयानक स्थिति यह बन रही है कि हिंदी दिवस को समझाने के लिए भी अंग्रेजी भाषा का उपयोग करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक हम आचरण में देश, संस्कृति और अपने ग्रंथों को समाहित नहीं करते हमारी पूरी कोशिशें खोखली ही साबित होंगी। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी चीज भारत को बचाना है। ऐसे में बनारसियों की जितनी तारीफ की जाए कम है। उन्होंने बनारसी जीवन शैली का उल्लेख कर कहा कि बनारसी चाहे कुछ भी बन जाए या कहीं पहुंच जाए, वो अपनी भाषा नहीं छोड़ता। विदेश से लौट कर भी बनारसी अपने घर में काहो चाय-वाय ना पिलइबु ही बोलता है। ना कि वन कप टी मांगता है। ‘पंच प्रण : भारतीय भाषाएं, संस्कृति और समृद्ध भारत विषयक सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि हमारी संस्कृति में सर्वे भवन्तु सुखिनः की परिकल्पना निहित है। हम अपने से ज्यादा औरों को तरजीह देते हैं, यह हमारे सनातन मूल्यों को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि भाषा में इतिहास और संस्कृत का समावेश है।

उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि हम अपने सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करें और अपनी मर्यादा का पालन करें। जरूरी है कि हम अधिकारों के साथ मर्यादा की भी बात करें। कर्तव्य बोध के साथ भारतीय भाषा के संचयन और उसके प्रचार पर भी जोर देना आवश्यक है। आज भी हम अपनी ही भाषा के लिए चर्चा परिचर्चा करनी पड़ी रही है क्योंकि लोग अब इससे विरत होकर दूसरी संस्कृति और भाषा के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति से भाषा और संस्कृति का बहुत नुकसान हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि आज एक माहौल बनाने की जरूरत है कि हम अपनी विरासत को बचाने के लिए अमृत काल के युवा पीढ़ी को तैयार करें। इसमें पंच प्रण की महती भूमिका है, जो युवाओं के मन के अंदर संस्कृति और भाषा के प्रति प्रेम उत्पन्न करे।

कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्म जागरण प्रमुख पूर्वी उत्तर प्रदेश अभय कुमार ने कहा कि आज का कार्यक्रम मूलतः भाषा का है, हिन्दी भाषा का है। भारत में ही हिंदी भाषा का कार्यक्रम होना विचारणीय प्रश्न है। इसके पीछे जरूर दिक्कत है, क्योंकि हम अपनों को अपनी ही भाषा के प्रयोग आदि के लिए बोलना पड़े तो समाधान खोजना आवश्यक हो जाता है। उन्होंने कहा कि कई विशेषज्ञों ने कहा है कि भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं है यह संस्कारों की संवाहिका है। इनके जरिए उपजे हर शब्द अन्तर्नीहित अर्थों के साथ पहुंचने वाले तक को आनंदित करती है। इसीलिए आवश्यक है कि हम भाषा को संस्कारों के तौर पर अपने तरुण और व्यस्क साथियों के साथ जोड़ने के लिए लगातार प्रयास करें।

अभय कुमार ने देश से जुड़ाव बना रहे इसके लिए संदेश देते हुए कहा कि आप भारत के जिस भी भाग के रहने वाले हैं वहां की मूल भौगोलिक भाषा का अपने घर में उपयोग करते रहे, तभी देश से आपका और आपकी आने वाली पुश्तों का जुड़ाव होगा। आज के इस कार्यक्रम के तहत हम प्रण करें की अपनी मौलिक भाषा या बोली का उपयोग हम लगातार अपने घरों में करते रहेंगे, अन्यथा ऐसे कार्यक्रम होते रहेंगे और भविष्य में भी हम यूं ही लोगों को उद्वेलित करते रह जाएंगे। भाषा संस्कारों का संवाहक करती रहे, इसके लिए इसका लगातार उपयोग जरूरी है।

प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त पदुम नारायण द्विवेदी ने कहा कि 14 सितंबर के दिन को (Udaipur Kiran) भारतीय भाषा दिवस के तौर पर लगातार मनाता आ रहा है। इस क्रम में आज भारतीय भाषाओं के लोक कलाकारों से संबंद्ध कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। काशी विश्वनाथ धाम में भोले बाबा के आशीर्वाद के साथ लोक कलाकारों का अद्भुत संगम हुआ है, जो अपने आप में विलक्ष्ण है।

वहीं, कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं वाराणसी शहर दक्षिणी के विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी ने कहा कि पंच प्रण की संकल्पना भारतीय भाषा और संस्कृति के आधार पर समृद्ध भारत को उल्लेखित करता है। उन्होंने कहा कि यह पंच प्रण ही देश को समृद्धशाली बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए (Udaipur Kiran) समूह के अध्यक्ष अरविंद भालचंद्र मार्डीकर ने समूह के विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं तक समाचार की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से (Udaipur Kiran) की स्थापना की गई। इस प्रयास के फलस्वरूप ही आज हम 12 भाषाओं में खबरें प्रेषित कर रहे हैं। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत (Udaipur Kiran) समूह के निदेशक प्रदीप मधोक ‘बाबा’ ने किया। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भारतीय भाषाई क्षेत्र के लोककला, शास्त्रीय एवं जनजातिय क्षेत्र के 25 कलाकारों को ‘भाषाई कला सम्मान’ से सम्मानित किया। साथ ही ‘ (Udaipur Kiran) ’ समूह की दो प्रमुख पत्रिकाएं युगवार्ता (पाक्षिक) और नवोत्थान (मासिक) के विशेष अंक का लोकार्पण भी किया।

इससे पहले ए. वेंकटरमन घनपाठी एवं अन्य आचार्यों ने वैदिक मंत्रोच्चार किया। इसके बाद मंचासीन अतिथियों ने भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित करने के साथ दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। कार्यक्रम में डैलिम्स सनबीम स्कूल की छात्राओं ने स्वागत गीत गाया।

—कार्यक्रम में इन विशिष्ट जनों का हुआ सम्मान

कार्यक्रम में राजा मानसिंह, तोमर एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति प्रो.पं. साहित्य कुमार नाहर, राजस्थान के पारम्परिक लोक कलाकार दयाराम भांड, लोक कलाकार गुजरात नितिन बाबूभाई दवे, वायलिन वादक महाराष्ट्र पंडित अतुल कुमार उपाध्ये, कथक कलाकार पंजाब विदुषी शोभा कोसर,ओडिशी नृत्यांगना दिल्ली विदुषी कविता द्विवेदी, कथक नृत्यांगना हरियाणा नयनिका घोष, चित्रकार छत्तीसगढ़ गौरण पाटिल, शास्त्रीय गायक ठुमरी एवं भजन बेंगलुरू कर्नाटक ईमानदास,शास्त्रीय गायक आंध्र प्रदेश मल्लादी श्रीराम प्रसाद एवं मल्लादी रवि कुमार, भारतीय शास्त्रीय स्लाइड गिटारवादक तमिलनाडु डॉ कमलाशंकर, बांसुरी वादक केरल चित्तुर के पतंजलि, तबला वादक पश्चिम बंगाल पंडित समर शाहा, शास्त्रीय नृत्य (सत्तिया)कलाकार असम रंजुमोनी सैकिया, लोकनृत्य मणिपुर राजकुमारी सनाहनबी देवी, तबला वादक त्रिपुरा जाहर बनर्जी, ओडिशी नृत्य ओडिशा प्रभुतोष पांडा, शास्त्रीय गायक ,बिहार पंडित उदय कुमार मलिक,लोक गायिका मधुबनी बिहार सुश्री मैथिली ठाकुर,भगत सिंधी गायक ज्योति खत्री, शास्त्रीय घ्रुपद संगीत कानपुर पंडित आयुष द्विवेदी, वरिष्ठ चित्रकार उत्तर प्रदेश डॉ देवेन्द्र कुमार त्रिपाठी, वरिष्ठ चित्रकार उत्तर प्रदेश डॉ सुनील विश्वकर्मा, सहायक संपादक युगवार्ता दिल्ली बद्री नाथ वर्मा, पूर्व समाचार समन्वयक (Udaipur Kiran) उत्तर प्रदेश पदुम नारायण द्विवेदी को ‘भाषाई कला सम्मान’ दिया गया।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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