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(अपडेट) कोलकाता रेप-मर्डर मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

– नेशनल टास्क फोर्स को सुझाव देने के लिए पोर्टल स्थापित करे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय

– प्रशासन विरोध प्रदर्शन नियंत्रित करने के लिए कानून के मुताबिक काम करने को स्वतंत्र

नई दिल्ली, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में जूनियर डॉक्टर से रेप एवं मर्डर मामले में गुरुवार को सीबीआई और बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद कवर में स्टेटस रिपोर्ट सौंपी। पश्चिम बंगाल सरकार ने आज सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष इस मामले में हो रहे विरोध प्रदर्शन के हिंसक होने पर चिंता जताई। इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि प्रशासन हिंसक विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए कानून के मुताबिक काम करने को स्वतंत्र है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने पश्चिम बंगाल पुलिस की जांच के तरीके पर कई सवाल खड़े किए लेकिन सीजेआई ने यह भी कहा कि डॉक्टरों को काम पर लौटना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों की चिंताओं पर नेशनल टास्क फोर्स गौर करके उसके मुताबिक अनुशंसाएं करेगा। कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश दिया कि वो नेशनल टास्क फोर्स को अपने सुझाव देने के लिए एक पोर्टल स्थापित करे। कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि वे राज्यों के मुख्य सचिवों और डीजीपी के संपर्क में रहें, ताकि इच्छुक डॉक्टर काम पर लौट सकें। स्वास्थ्य सचिव राज्यों के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ एक हफ्ते में बैठक करें और उसके बाद राज्य सरकारें दो हफ्ते में एहतियाती कदम उठाएं। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे अस्पतालों में हिंसा के निपटने के लिए जरूरी कदम उठाएं।

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि रेप और मर्डर 8 और 9 अगस्त की रात को हुआ था। मौत की अननैचुरल डेथ की एंट्री 9 अगस्त की सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर दर्ज की गई। क्राइम सीन की सुरक्षा, सबूत जुटाने आदि का काम रात साढ़े 11 बजे किया गया। अस्पताल प्रशासन इतने लंबे समय तक क्या कर रहा था। सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि जिस तरीके से बंगाल पुलिस ने इस केस को हैंडल किया है, उसमें उन्होंने तय कानूनी प्रकिया का पालन नहीं किया है। ऐसा मैंने पिछले 30 साल के करियर में कभी नहीं देखा।

सुनवाई के दौरान एम्स की ओर से पेश वकील ने कहा कि हम काम कर रहे हैं और प्रोटेस्ट भी कर रहे हैं लेकिन प्रोटेस्ट की वजह से उन्हें परेशान किया जा रहा है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि डॉक्टर आश्वस्त रहें। हम जानते हैं वो 36 घंटों तक भी काम करते हैं। मैं खुद सरकारी अस्पताल में फर्श पर सोया हूं, जब मेरे परिवार के एक सदस्य अस्पताल में भर्ती थे। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम चाहते हैं कि डॉक्टर काम पर लौटें। अगर वो काम पर नहीं लौटते हैं तो पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का पूरा ढांचा ही गड़बड़ा जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अगर डॉक्टर काम पर लौटते हैं तो फिर उनके खिलाफ कोई एक्शन न लिया जाए।

आज सीबीआई और पश्चिम बंगाल पुलिस ने सीलबंद कवर में सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। कोर्ट के निर्देश पर आज सीबीआई को इस मामले में अब तक की जांच प्रगति की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी थी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने आरोपित की मेडिकल रिपोर्ट के बारे में पूछा तो वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह केस डायरी का हिस्सा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई ने 5वें दिन जांच शुरू की लेकिन तब तक क्राइम सीन में सब कुछ बदल दिया गया और जांच एजेंसी को नहीं पता था कि ऐसी कोई रिपोर्ट है। वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने एसजी की दलील का विरोध किया और कहा कि सब कुछ की वीडियोग्राफी है, न कि बदला गया। एसजी मेहता ने कहा कि शव के अंतिम संस्कार के बाद 11:45 बजे एफआईआर दर्ज की गई और पीड़िता के वरिष्ठ डॉक्टरों और सहकर्मियों के जोर देने के बाद वीडियोग्राफी की गई और इसका मतलब है कि उन्हें भी कुछ संदेह था।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि परिजनों को शव सौंपे जाने के 3.15 घंटे बाद एफआईआर क्यों दर्ज की गई? इस पर कपिल सिब्बल ने कहा, क्योंकि पीड़िता के पिता ने रात 11:45 बजे एफआईआर दर्ज कराई थी। सीजेआई ने कहा कि पीड़िता के माता-पिता की अनुपस्थिति में एफआईआर दर्ज करना अस्पताल का कर्तव्य था, इस दौरान प्रिंसिपल और अस्पताल बोर्ड क्या कर रहे थे? सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिस सेमिनार हॉल में डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की गई थी, उसमें समझौता किया गया था। सीबीआई ने स्पष्ट रूप से कहा कि इसमें लीपापोती की गई थी। बंगाल के पुलिसकर्मी नागरिकों को नोटिस जारी करने में व्यस्त थे? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त को कोलकाता रेप एवं मर्डर मामले में सुनवाई करते हुए सीबीआई को 22 अगस्त तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने एक टास्क फोर्स का गठन करने का आदेश दिया था, जो पूरे भारत में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों का सुझाव देंगे, ताकि काम की सुरक्षा की स्थिति बनी रहे और युवा डॉक्टर अपने काम के माहौल में सुरक्षित रहें।

(Udaipur Kiran) /संजय

(Udaipur Kiran) / पवन कुमार / सुनीत निगम

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