Delhi

उप्र-हरियाणा बढ़ा रहे दिल्ली में वायु प्रदूषणः जस्मीन शाह

प्रेस वार्ता करते हुए जस्मीन शाह

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सर्दियों के मौसम में दिल्ली में बढ़ने वाले वायु प्रदूषण के पीछे असली कारण पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश हैं। यह खुलासा केंद्र सरकार की एजेंसी इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के जारी आंकड़ों से हुआ है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता जस्मीन शाह ने बुधवार को कहा कि पूरे भारत में केवल दिल्ली सरकार की दिल्ली-पंजाब की सरकारें ही प्रदूषण कम करके जनता को राहत दिला रही हैं, बाकी सभी सरकारें सो रही हैं। खासकर दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा और उप्र की भाजपा सरकारें प्रदूषण को कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही हैं।

जस्मीन शाह ने आंकड़ों के हवाले से कहा कि पिछले साल के मुकाबले एक से 14 अक्टूबर तक पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 27 फीसद की कमी आई है, जबकि हरियाणा में 23 और उप्र में 71 फीसद की वृद्धि हुई है। भाजपा हरियाणा और उप्र में प्रदूषण कम करने को लेकर मंभीर नहीं है। इसलिए उसने धूल प्रदूषण को कम करने के लिए भी दिल्ली की तरह कोई विंटर एक्शन प्लान नहीं बनाया है।

जस्मीन शाह ने कहा कि केंद्र सरकार के इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएआरआई) के 1 से 14 अक्टूबर तक के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में पंजाब में 1105 पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं। लेकिन 2024 में ये घटनाएं घटकर 811 हो गई हैं। यानी पंजाब में पराली जलाए जाने की घटनाओं में करीब 27 फीसद की गिरावट आई है। वहीं, हरियाणा में 2023 में 1 से 14 अक्टूबर के बीच 341 पराली जलाए जाने की घटनाएं हुई थीं, जो इस साल इसी समय सीमा में बढ़कर 417 हो गईं। यानी हरियाणा में पराली जलाए जाने की घटनाओं में करीब 23 फीसद की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश में पिछले साल 1 अक्टूबर से 14 अक्टूबर के बीच पराली जलाए जाने की 244 घटनाएं हुई थीं, जो इस साल बढ़कर 417 हो गई हैं। यानी पराली की घटनाएं 71 फीसद बढ़ी हैं। जब से पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आई है, वहां पराली जलाए जाने की घटनाएं लगातार कम हो रही हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार 2021 में पंजाब में 71300 पराली जलाए जाने की घटनाएं पाई गई थीं। पंजाब के इतिहास में ये आंकड़ा सबसे ज्यादा था। उस वक्त वहां आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं थी। पंजाब में आआपा की सरकार 2022 में आई और पिछले दो सालों में पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए काफी काम किया है। इसका नतीजा ये हुआ कि 2023 में पराली जलाने की घटनाएं कम होकर 36,600 हो गईं। यानी कि केवल दो सालों में कुल 50 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन इस साल पंजाब में 25-27 प्रतिशत पराली जलाए जाने की घटनाएं और कम होंगी। इसलिए किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि पराली के मुद्दे पर कौन सी सरकार है जो युद्धस्तर पर व निरंतर काम कर रही है और कौन सी सरकार है जो सिर्फ चैन की नींद सोने और आआपा और उसके नेताओं को गाली देने का काम कर रही है।

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी

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