WORLD

पनामा सम्मेलन में यूएन का स्पष्ट संदेश- आर्थिक विकास के लिए जरूरी है नई राष्ट्रीय जलवायु योजना

पनामा सिटी, 20 मई (Udaipur Kiran) । संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन कार्यकारी सचिव साइमन स्टीएल ने नेचर समिट 2025 में कहा कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, व्यापार युद्ध और भौगोलिक बदलावों के बीच अब समय आ गया है कि देश अपनी राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं (एनडीसी) को नवीनीकृत करें और उन्हें आर्थिक विकास से जोड़ें।

एनडीसी (नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन) किसी देश द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए निर्धारित किए गए लक्ष्य, नीतियां और उपाय होते हैं। अब तक संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के 195 सदस्य देशों में से 178 देश सीओपी30 की तैयारी के तहत अपनी नई योजनाएं प्रस्तुत करने की तैयारी कर चुके हैं।

साइमन स्टीएल ने कहा कि अब हमें ऐसी योजनाओं की जरूरत है जो केवल उत्सर्जन में कटौती न करें, बल्कि नए उद्योगों को बढ़ावा दें, रोजगार के अवसर बढ़ाएं और प्रकृति की रक्षा करते हुए लोगों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर जलवायु संकट पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो इसकी आर्थिक और मानवीय लागत कहीं अधिक होगी।

सम्मेलन में स्टीएल ने पनामा नहर का उल्लेख करते हुए बताया कि जल स्तर में कमी के कारण मालवाहक जहाज़ों की आवाजाही धीमी हो गई है, जिससे वैश्विक व्यापार पर असर पड़ा है। इसका सीधा प्रभाव आम लोगों की जेब पर पड़ रहा है, वस्तुएं महंगी हो रही हैं, आपूर्ति बाधित हो रही है और कुछ क्षेत्रों में तो जीवनरक्षक दवाएं भी समय पर नहीं पहुंच पा रही हैं। उन्होंने कहा, “सूखा और जल संकट अब केवल पर्यावरणीय संकट नहीं हैं, यह आर्थिक और मानवीय आपदा बन चुके हैं।”

स्टीएल ने जोर देते हुए कहा कि जलवायु नीति को व्यापार और निवेश का उपकरण बनाकर देखा जाना चाहिए। इससे सरकारों, बाजारों और निवेशकों को स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि वे सतत भविष्य के लिए गंभीर निवेश करें। उन्होंने कहा कि “जलवायु योजनाओं को अब एक अलग विषय के तौर पर नहीं, बल्कि आर्थिक पुनर्निर्माण के केंद्र के रूप में देखा जाना चाहिए। यदि हम 02 ट्रिलियन डॉलर के स्वच्छ ऊर्जा बाजार का लाभ उठाना चाहते हैं, तो सरकारों, निजी क्षेत्रों और आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी जरूरी है।”

भारत और वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

पनामा नहर भारत के लिए भी व्यापारिक दृष्टि से बेहद अहम है, क्योंकि यह भारत को अमेरिका, यूरोप और प्रशांत क्षेत्र से जोड़ने वाला सबसे छोटा समुद्री मार्ग है। इससे भारतीय निर्यात को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलती है, लेकिन नहर की बिगड़ती स्थिति से भारतीय उद्योगों और आपूर्ति श्रृंखला पर भी खतरा मंडरा रहा है। भारत की मौजूदा एनडीसी में 2030 तक बिजली उत्पादन का 50 फीसदी हिस्सा गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करने और 2005 की तुलना में उत्सर्जन तीव्रता में 45 फीसदी की कटौती का लक्ष्य है।

—————

(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय

Most Popular

To Top