Haryana

विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, शोधार्थियों व शिक्षकों के लिए लाभकारी होगा एमओयू : प्रो. नरसी राम बिश्नोई

एमओयू का आदान-प्रदान करते कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई व प्रबंध निदेशक डॉ. अरुण पिलानी।

गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय व कारस लैबोरेटरीज प्राइवेट लि., करनाल के बीच

हुआ एमओयू

हिसार, 27 मार्च (Udaipur Kiran) । यहां के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

विश्वविद्यालय तथा कारस लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड, करनाल के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ

अंडरस्टेंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। गुजविप्रौवि की ओर से कुलपति प्रो.

नरसी राम बिश्नोई ने और कारस लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड, करनाल की ओर से प्रबंध निदेशक

डॉ. अरुण पिलानी ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। गुजविप्रौवि के कुलसचिव डॉ. विजय

कुमार, डीन इंटरनेशनल अफेयर्स प्रो. नमिता सिंह, कारस लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड,

करनाल के आर एंड डी हेड डॉ. सुनील शुक्ला व शिपरा शुक्ला ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर

किए। इस अवसर पर प्रो. सुमित्रा सिंह, प्रो. सुनील शर्मा व प्रो. अर्चना कपूर भी उपस्थित

रहे।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने गुरुवार को कहा कि यह एमओयू विश्वविद्यालय

के विद्यार्थियों, शोधार्थियों व शिक्षकों के लिए लाभकारी होगा। इस एमओयू के माध्यम

से गुजविप्रौवि व कारस लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड, करनाल के बीच सहयोग और सहभागिता

कौशल विकास, परिणाम-आधारित प्रशिक्षण प्लेसमेंट, अनुसंधान एवं विकास सेवाओं और संबंधित

सेवाओं के लिए शिक्षा और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देंगे। दोनों संस्थान नई दवा फॉमूर्लेशन,

वितरण प्रणाली और औषधीय तकनीकी प्रौद्योगिकियों की खोज के लिए संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं

पर विचार करेंगे जो अकादमिक और औद्योगिक दोनों लक्ष्यों को संरेखित करते हैं। दोनों

संस्थान निरंतर ज्ञान हस्तांतरण सुनिश्चित करेंगे जो दोनों पक्षों को फार्मास्यूटिकल

और विनिर्माण में नवीनतम प्रगति के साथ अद्यतित रखता है।

प्रबंध निदेशक डॉ. अरुण पिलानी ने कहा कि कारस लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड

फार्मास्यूटिकल्स के अनुसंधान एवं विकास, विश्लेषणात्मक परीक्षण और विनिर्माण के लिए

समर्पित है। उन्होंने भी प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह एमओयू दोनों संस्थानों के

लिए बेहद फायदेमंद है। दोनों संस्थान नए अणुओं, जैविक या लक्षित उपचारों को डिजाइन

करने पर सहयोगात्मक प्रयास करेंगे।

कुलसचिव डॉ. विजय कुमार ने कहा कि दोनों संस्थान नए फार्मास्युटिकल उत्पादों,

दवा निर्माण, वितरण प्रणाली या उपचारात्मक हस्तक्षेपों की खोज पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

दोनों संस्थान नए अणुओं, जैविक या लक्षित उपचारों को डिजाइन करने पर सहयोगात्मक प्रयास

करेंगे।

डीन इंटरनेशनल अफेयर्स प्रो. नमिता सिंह ने कहा कि दोनों संस्थान विश्वविद्यालय

अनुसंधान के माध्यम से विकसित नए दवा उत्पादों का परीक्षण करने के लिए पूर्व-नैदानिक

और नैदानिक अनुसंधान का समन्वय करेंगे। विद्यार्थियों को प्रयोगशाला अनुसंधान से लेकर

औद्योगिक पैमाने पर उत्पादन तक दवा निर्माण में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने के अवसर

प्रदान किए जाएंगे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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