गोरखपुर, 19 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता, कला संकाय प्रो. राजवंत राव ने समस्त विभागीय शोधार्थियों को संबोधित किया।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालयों की अवधारणा के केन्द्र में लोकतांत्रिकता, तार्किकता एवं तत्व चिंतन रहा है। उन्होंने कहा कि मानविकी एवं मूल विज्ञान का ही अध्ययन विश्वविद्यालयों में होता था। सभी विषयों के केन्द्र में मनुष्य एवं उससे सम्बन्धित चिंतन ही होता था। विश्वविद्यालय सभी प्रकार के विमर्श के केन्द्र होते थे। विश्वविद्यालय सभी प्रकार के हस्तक्षेपों से दूर होता था। आज कौशल विकास विश्वविद्यालयों के साथ जुड़ गया है। उत्तरदायित्वपूर्ण कुशल नागरिकों द्वारा ही श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण सम्भव है।
इस अवसर पर डॉ.संजय राम, डॉ.रमेश चंद्र, डा.संजय तिवारी व डॉ.दीपक कुमार आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ.लक्ष्मी मिश्रा, डॉ.देवेन्द्र पाल, डॉ.सूर्यकांत त्रिपाठी एवं डॉ नरेंद्र कुमार, डॉ राम नरेश राम समेत अन्य लोगों की उपस्थिति रही।
—————
(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय