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शांति और विकास के लिए विभिन्न समुदायों के बीच एकता जरूरी : उपमुख्यमंत्री

ब्लड स्पीक्स टू का विमाेचन करते उपमुख्यमंत्री भट्टी, पुस्तक लेखक शाहनवाज कादरी और अन्य।

-उपमुख्यमंत्री ने ब्लड स्पीक्स टू पुस्तक का किया विमोचन

-आजादी की लड़ाई में मुस्लिमों के योगदान का किया गया है संकलन

हैदराबाद, 5 दिसंबर (Udaipur Kiran) । तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने कहा कि शांति और विकास के लिए विभिन्न समुदायों के बीच एकता और विश्वास बहुत महत्वपूर्ण है।

उपमुख्यमंत्री भट्टी गुरुवार को यहां रविंद्र भारती ऑडिटोरियम में आजादी की लड़ाई में मुस्लिम देशभक्तों के योगदान पर लिखी अंग्रेजी पुस्तक ब्लड स्पीक्स टू: द रोल ऑफ मुस्लिम्स इन इंडिया’ज़ इंडिपेंडेंस का विमोचन करने के बाद संबोधित कर रहे थे।उपमुख्यमंत्री भट्टी ने कहा कि

आजादी की लड़ाई में मुस्लमानाें ने पूरा सहयाेग दिया था और अंग्रेजाें के खिलाफ सबसे अधिक नारे इन्हाेंने ही दिए थे। पुस्तक के लेखक कादरी ने

बहुत मेहनत कर इस किताब काे तैयार किया है और जंगे आजादी में हजाराें मुस्लमान देशभक्ताें के नाम सामने लाएं हैं।

इस कार्यक्रम में कई समुदाय के नेता, बुद्धिजीवी वर्ग मंच पर दिखा। यह पुस्तक सैयद शाहनवाज अहमद कादरी की लिखी है। इस पुस्तक का हिन्दी और उर्दू भाषा में पहले ही प्रकाशित हो चुकी है।

इस मौके पर पूर्व सांसद मौलाना ओबेदुल्लाह खान आज़मी ने कहा कि मुसलमानों ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना खून बहाया और योगदान दिया, लेकिन आज उन्हीं समुदाय के लोगों को पीटा जा रहा है और उनके घरों को बुलडोज़र चलाया जा रहा है।

समाजवादी विचारक रघु ठाकुर ने कहा कि अगर कोई भगत सिंह का नाम लेता है तो अशफाकउल्ला खान के बलिदान का भी जिक्र होना चाहिए। ‘ब्लड स्पीक्स टू’ ने इस महत्वपूर्ण काम को अंजाम दिया है। इसमें गुमनाम नायकों की भूमिका को उजागर किया है।

समारोह में तेलंगाना पीसीसी के सदस्य मोहम्मद जावेद ने कहा कि यह पुस्तक समय की मांग थी, क्योंकि वर्तमान सरकार के कुछ लोग यह दावा करते हैं कि मुसलमानों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अधिक योगदान नहीं दिया।

पुस्तक के लेखक सैयद शाहनवाज अहमद कादरी ने कहा कि गहन शोध के बाद लिखी गई पुस्तक भारत के स्वतंत्रता संग्राम की ऐतिहासिक कथाओं में मुसलमानों के लंबे समय से हो रहे हाशियाकरण को चुनौती देती है। इसमें लगभग 2,400 मुस्लिम देशभक्तों ने नाम हैं,जिन्होंने अपना सर्वस्य कुर्बान किया या अंग्रेजों के अत्यार झेले। ब्लड स्पीक्स टू भारत की स्वतंत्रता के अध्ययन के लिए एक अद्वितीय दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल 1857 से 1947 तक मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है, बल्कि यह विविध समुदायों के योगदान को मान्यता देने और सम्मानित करने का आह्वान भी करती है।

जामिया निज़ामिया के चांसलर मौलाना मुफ्ती खलील अहमद ने इतिहास से जुड़े रहने के महत्व पर जोर दिया। इस पुस्तक का अंग्रेजी में अनुवाद करने वाले परवेज़ आलम सिद्दीकी ने इसके आज के सामाजिक-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता को रेखांकित किया। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सुरेश खैरनार ने कहा कि यह पुस्तक ऐसे समय में आई है, जब मुसलमानों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

कार्यक्रम में तेलंगाना सेंट्रल लाइब्रेरी के चेयरमैन डॉ. रियाज़ ने घोषणा की कि ब्लड स्पीक्स टू की प्रतियां तेलंगाना की सभी छह लाइब्रेरी में उपलब्ध कराई जाएगी। नेशनल कोऑर्डिनेटर रिज़वान रज़ा ने मोहम्मद जावेद को इस कार्यक्रम के बहुत कम समय में सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।

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(Udaipur Kiran) सक्सेना

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