ऋषिकेश, 21 नवंबर(हि स )। संयुक्त राज्य अमेरिका के राजदूत केनेथ इयान जूस्टर का परमार्थ निकेतन पहुंचने पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष, साध्वी भगवती सरस्वती स्वागत करने के उपरांत राजदूत ने सपरिवार विश्व विख्यात गंगा आरती में सहभाग किया।
गुरुवार को परमार्थ निकेतन की गंगा आरती में केनेथ इयान जूस्टर ने गंगा आरती में सहभाग कर न केवल भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का सम्मान किया, बल्कि उन्होंने गंगा माँ के पवित्र तट पर स्वामी व साध्वी के पावन सान्निध्य में उपस्थित होकर आत्मिक शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव भी किया।
इस अवसर पर साध्वी भगवती सरस्वती द्वारा रचित सद्साहित्य को केनेथ इयान जूस्टर को भेंट किया। यह साहित्य न केवल भारतीय आध्यात्मिकता और संस्कृति को प्रतिबिंबित करता है, बल्कि यह जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों और शिक्षाओं का भी अद्वितीय संग्रह है। साध्वी के इस साहित्यिक योगदान ने राजदूत को गहराई से प्रभावित किया और उन्होंने इसे अपने जीवन में आत्मसात करने की इच्छा व्यक्त की।
स्वामी और साध्वी ने राजदूत को दिव्य रूद्राक्ष का पौधा भी भेंट किया। साध्वी ने उन्हें बताया कि रूद्राक्ष भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। यह शुद्धता, शांति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। रूद्राक्ष का पौधा राजदूत के प्रति सम्मान और भारतीय परंपराओं के प्रति उनके समर्थन का प्रतीक है।
इस अवसर पर भारत और अमेरिका के उत्कृष्ट संबंधों पर भी चर्चा हुई। स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती ने राजदूत के साथ मिलकर दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग और साझेदारी को और अधिक मजबूत करने के विषय पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि दोनों देश मिलकर वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। यह दौरा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं विश्वभर में कितनी महत्वपूर्ण हैं। हम भारतीयों को गर्व है कि हम इसे पूरे विश्व के साथ साझा कर रहे हैं। यह समय भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों को और प्रगाढ़ करने का है। हमें आशा है कि वर्तमान समय भारत व अमेरिका के संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करेगा।
परमार्थ निकेतन विश्वभर के लोगों के लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का स्थल है। यह वह स्थान है जहां लोग आकर शांति और आत्मिक उन्नति का अनुभव करते हैं। यह दौरा भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों का एक नया अध्याय लिखेगा और दोनों देशों के बीच और अधिक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और आर्थिक सहयोग की उम्मीद करते हैं। इस दौरे से न केवल दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सम्मान बढ़ेगा, बल्कि यह वैश्विक शांति और सामंजस्य की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
(Udaipur Kiran) / विक्रम सिंह