बरपेटा (असम), 15 जनवरी। सत्रीया परंपरा के अनुरूप बुधवार को बरपेटा सत्र में माघ माह का मेजी प्रज्वलित कर भोगाली बिहू मनाया गया। मंगलवार को उरुका के उल्लासमय आयोजन के बाद बुधवार को सुबह सत्र में नियमित अनुष्ठानों के पश्चात परंपरा अनुसार टूपर चौताल में बिरिनि से बने मेजी में अग्नि प्रज्वलित की गई। इस अवसर पर बरपेटा सत्र के बूढ़ा सत्राधिकार डॉ. बाबुल चंद्र दास, डेका सत्राधिकार गौतम पाठक और सत्र के अन्य भक्तों ने मेजी प्रज्वलित की।
विशेष रूप से, बरपेटा में सत्रीया केंद्रित माघ बिहू के इस आयोजन को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्त सत्र में एकत्र हुए और मेजी की अग्नि से बनी राख को तिलक स्वरूप अपने माथे पर लगाकर घर लौटे। परंपरा के अनुसार, पूस संक्रांति से लेकर 4 माघ तक बरपेटा सत्र में पांच दिवसीय माघ दोमाही का आयोजन होता है। इन पांच दिनों में नित्य अनुष्ठान के साथ-साथ विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
सत्र परिसर भक्तों से खचाखच भरा रहा। आज सुबह के नित्य अनुष्ठान में भक्तों द्वारा भतिमा, नाम-प्रसंग और भागवत पाठ किया गया। इसके पश्चात गायक-वादकों ने गुरु आसन के समक्ष गुरुघाट का आयोजन कर भक्ति संगीत प्रस्तुत किया।
इसके अलावा, मेजी प्रज्वलित होने के बाद सत्र से संबंधित विभिन्न स्थलों जैसे राखाल थान, बिलरटारीहाटी, वृंदावन हाटी सहित 22 हाटियों में भी परंपरा अनुसार मेजी जलाए गए। परंपरा के अनुसार, सत्र में मेजी जलाने के बाद ही अन्य हाटियों में माघ बिहू के मेजी जलाए जाते हैं।
बरपेटा में लोक संस्कृति और सत्रीया संस्कृति का यह अनूठा संगम भोगाली बिहू को एक विशिष्ट पहचान देता है। सत्रीया संस्कृति के अनुशासन और भक्ति भाव से ओतप्रोत यह पर्व यहां के लोक जीवन को आध्यात्मिकता के साथ जोड़ता है। भक्तों द्वारा मार्ग में गाए गए हरिनाम-कीर्तन की मधुर ध्वनि से सत्र नगरी बरपेटा में एक अद्वितीय वातावरण का निर्माण हुआ।
बरपेटा सत्र की इस आध्यात्मिकता और भोगाली बिहू के उल्लास ने स्थानीय लोगों के मन में भक्ति और आनंद का अद्भुत संचार किया।
(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर