Sports

केंद्रीय खेल मंत्री ने खो खो को एशियाई खेलों में शामिल करने के लिए एशियाई ओलंपिक परिषद को लिखा पत्र

दिल्ली के उप राज्य पाल के साथ केंद्रीय खेल मंत्री

नई दिल्ली, 13 जनवरी (Udaipur Kiran) । भारतीय खेलों की समृद्ध परंपरा के प्रतीक माने जाने वाले स्वदेशी खेल खो-खो को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को खो-खो विश्व कप के उद्घाटन समारोह में इस खेल को 2030 के एशियाई खेलों और 2036 के ओलंपिक खेलों में शामिल कराने के प्रयासों की घोषणा की।

मांडविया ने कहा, खो-खो भारत की सांस्कृतिक धरोहर है। हमने इसे 2030 एशियाई खेलों का हिस्सा बनाने के लिए एशियाई ओलंपिक परिषद को पत्र लिखा है। इसके अलावा, 2036 में भारत द्वारा ओलंपिक की मेजबानी के तहत इस खेल को ओलंपिक में शामिल करने का भी प्रयास किया जाएगा।

खो-खो को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की पहल

भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष और पूर्व धाविका पीटी ऊषा ने खो-खो की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, खो-खो न केवल भारत की खेल परंपरा का प्रतीक है, बल्कि यह ग्रामीण भारत से निकलकर अब वैश्विक पहचान बना रहा है। विश्व कप का आयोजन खेल प्रेमियों के उत्साह को बढ़ाएगा और स्वदेशी खेलों के प्रति जुनून को पुनर्जीवित करेगा।

खो-खो: मिट्टी से वैश्विक मंच तक

भारतीय खो-खो महासंघ (केकेएफआई) के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने इस आयोजन को भारत के लिए गौरव का क्षण बताया। उन्होंने कहा, खो-खो ने अपनी यात्रा मिट्टी से शुरू की और अब यह एक वैश्विक मंच पर पहुंच चुका है। यह खेल वर्तमान में 55 देशों में खेला जा रहा है और हमारा लक्ष्य इसे साल के अंत तक 90 देशों तक ले जाना है।

23 देशों के खिलाड़ियों की भागीदारी

खो-खो विश्व कप 2025 का आयोजन 13 से 19 जनवरी तक किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक प्रतियोगिता में 23 देशों के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। टूर्नामेंट में रोमांचक मुकाबले देखने को मिलेंगे, जो खेल प्रेमियों के लिए पूरे सप्ताह उत्साह का केंद्र बने रहेंगे।

खो-खो विश्व कप का यह पहला संस्करण भारत की मेजबानी में आयोजित हो रहा है, जो न केवल इस खेल को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में सहायक होगा, बल्कि भारत के स्वदेशी खेलों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।

—————

(Udaipur Kiran) दुबे

Most Popular

To Top