
कानपुर, 23 मई (Udaipur Kiran) । वर्ष भर प्राकृतिक खेती मॉडल के माध्यम से आय होती रहती है। इसके आच्छादन से मृदा में लगातार जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ती रहती है। जो खेती के लिए बहुत उपयोगी है। यह बातें शुक्रवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित हजरतपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि विभाग के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अंतर्गत एक दिवसीय क्लस्टर कृषकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम में केंद्र के प्रभारी डॉ ओमकार सिंह ने कही।
सर्वेश कुमार वरिष्ठ प्राविधिक सहायक ने प्रशिक्षण के दौरान फसल उत्पादन प्रणाली पर विस्तार से बताते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती के सात सूत्रों न्यूनतम जुताई, आच्छादन, सूक्ष्म सिंचाई, फसल चक्र, सह फसली, रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग न करना, और रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग न करना आदि है।
डॉक्टर नौशाद आलम वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से रसायन मुक्त फसल उत्पादन किया जा सकता है जो गोमूत्र और गाय की गोबर से किया जाता है।
डॉक्टर सुभाष चंद्र वरिष्ठ वैज्ञानिक उद्यान ने कृषकों को फल फूल सब्जी की प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर कृषि विभाग के कर्मचारी एवं किसान उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद
