Madhya Pradesh

उज्जैन: महाकाल मंदिर का सत्कार अधिकारी अभिषेक भार्गव एक दिन की रिमाण्ड पर

उज्जैन: महाकाल मंदिर का सत्कार अधिकारी अभिषेक भार्गव एक दिन की रिमाण्ड पर

उज्जैन, 28 दिसंबर (Udaipur Kiran) । महाकाल मंदिर में ऑनलाइन दर्शन हेतु रूपए लेकर अमानत में खयानत मामले में पुलिस ने मंदिर समिति के दो कर्मचारी विनोद चौकसे और राकेश श्रीवास्तव को सबसे पहले गिरफ्तार करके रिमाण्ड पर लिया था। इनसे पूछताछ के बाद पुलिस ने शुक्रवार को मंदिर समिति के तीन अधिकारियों और क्रिस्टल कम्पनी के दो निजी सुरक्षाकर्मी को गिरफ्तार किया था। इस मामले में आठवां आरोपित रितेश शर्मा अभी फरार है।

शनिवार को माननीय न्यायालय ने अभिषेक भार्गव को एक दिन के रिमाण्ड पर पुलिस को सौपा है।

महाकाल थाना पुलिस के अनुसार मंदिर समिति के दो कर्मचारी विनोद चौकसे और राकेश श्रीवास्तव जेल में है। इसीप्रकार शुक्रवार को रिमाण्ड पर लिए गए पांच आरोपी अभिषेक भार्गव,राजेंद्र सिसोदिया, राजकुमारसिंह, ओमप्रकाश माली और अजय पंवार की एक दिन की रिमाण्ड शनिवार को खत्म होने पर इन पांचों को माननीय न्यायालय के समक्ष पेश कर रिमाण्ड मांगा गया था। न्यायालय ने केवल अभिषेक भार्गव को एक दिन के रिमाण्ड पर पुलिस को सौपा है। अभिषेक भार्गव महाकाल मंदिर में लम्बे समय से सत्कार अधिकारी के पद पर पदस्थ था।

पुलिस सूत्रों के अनुसार शनिवार को पुलिस ने पांचों को रिमाण्ड पर पुन: लेने के लिए कोई जोर नहीं लगाया।

पुलिस चाहती थी कि केवल अभिषेक भार्गव की रिमाण्ड मिल जाए। न्यायालय ने एक दिन की रिमाण्ड दे दी है। पुलिस के अनुसार अभिषेक से महत्वपूर्ण बिंदुओं पर पूछताछ और मंदिर कार्यालय जाकर महत्वपूर्ण रिकार्ड की जब्ती करना है। इधर पुलिस ने शेष चारों को जेल भेज दिया है। वहीं इस पूरे मामले के आठवें आरोपी रितेश शर्मा की तलाश में पुलिस दल रवाना किए हैं। पुलिस के अनुसार रितेश का पकड़ा जाना बहुत आवश्यक है। उससे पूछताछ के बाद अनेक कडिय़ों को जोडऩे में पुलिस को मदद मिलेगी।

अब इनके हालात है खराब…..

महाकाल मंदिर में पूर्व में सत्कार शाखा,भस्मार्ती दर्शन व्यवस्था,सशुल्क दर्शन व्यवस्था, ऑन लाइन डिजिटल पैमेंट व्यवस्था आदि शाखाओं को देखने वाले कतिपय कर्मचारियों के चेहरों से इस समय हवाईयां उड़ी हुई है। मंदिर में चर्चाओं का दौर अभी भी नहीं थमा है। बताया जा रहा है कि जो लोग उक्त शाखाओं में काम कर चुके हैं,उन्हे संदेह है कि कहीं कोई उनका गलत नाम न फंसा दे,वरना बेफिजूल में दाम देना पड़ेगा। बताया जाता है कि कतिपय कर्मचारियों की कतिपय गिरफ्तार लोगों से किसी न किसी बात पर हुज्जत होने के बाद बोलचाल बंद थी वहीं वे एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। उनका चर्चा में कहना है कि आरोपित लोग उनके नाम भी फंसा सकते हैं।

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(Udaipur Kiran) / ललित ज्‍वेल

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