Madhya Pradesh

उज्जैनः अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में ‘कृष्णायन’ का भव्य मंचन

उज्जैनः अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में ‘कृष्णायन’ का भव्य मंचन

– वेदव्यास ने भक्तों को बताया श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग

उज्जैन, 9 दिसंबर (Udaipur Kiran) । उज्जैन में चल रहे पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दूसरे दिन, सोमवार को श्रीकृष्ण केंद्रित महानाट्य ‘कृष्णायन’ का मंचन हुआ। इस प्रस्तुति का निर्देशन संजीव मालवीय ने किया। इस अवसर पर कलेक्टर नीरज सिंह, महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी, विक्रम विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य राजेश कुशवाह, नरेश शर्मा और पुरातत्वविद् डॉ. रमन सोलंकी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके उपरांत, प्रस्तुति के निर्देशक का श्रीमद्भगवद्गीता, विक्रम पंचांग और पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया।

महानाट्य में वेदव्यास जी भक्तों को श्रीकृष्ण के जन्म की घटना बताते हैं। पृथ्वी पर बढ़ते अनाचार से दुखी होकर, पृथ्वी ब्रह्मदेव के पास जाती है और उनसे रक्षा की प्रार्थना करती है। ब्रह्मदेव सभी देवताओं के साथ विष्णु भगवान के पास जाते हैं। विष्णु भगवान अपने श्रीकृष्ण अवतार का आश्वासन देते हैं। वेदव्यास कंस का अतीत बताते हैं। कंस की बहन देवकी का विवाह प्रसंग होता है। विदाई के समय आकाशवाणी होती है कि देवकी का सातवां पुत्र कंस की हत्या करेगा। कंस, देवकी और वसुदेव को कारावास में डाल देता है। श्रीकृष्ण का जन्म होता है, और वसुदेव श्रीकृष्ण को नंद-यशोदा के घर छोड़ आते हैं। नंद के यहाँ खुशियां मनाई जाती हैं।

मंचन में राधा-कृष्ण का मिलन दिखाया जाता है

कंस, श्रीकृष्ण को मारने के लिए अनेक राक्षसों को गोकुल भेजता है, लेकिन वे सभी मारे जाते हैं। श्रीकृष्ण का राधा से मिलन होता है। श्रीकृष्ण गोपियों संग रास खेलते हैं और वेदव्यास रास का रहस्य बताते हैं। कंस, अक्रूर जी को भेजकर श्रीकृष्ण और बलराम को मथुरा बुलाता है। श्रीकृष्ण और बलराम वहां पहलवानों को मारने के बाद कंस का वध कर देते हैं। श्रीकृष्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए उज्जयिनी में स्थित सांदीपनि के आश्रम आते हैं। उज्जयिनी में श्रीकृष्ण मित्रवृंदा से मिलते हैं। रुक्मिणी हरण और मित्रवृंदा हरण का दृश्य दिखाया जाता है।

इसके बाद श्रीकृष्ण परशुराम के आश्रम जाते हैं। शिशुपाल वध, श्रीकृष्ण और सुदामा का प्रसंग दर्शाया जाता है। युद्ध रोकने के प्रयास में, श्रीकृष्ण शांतिदूत बनकर कौरवों के पास जाते हैं, लेकिन अपमानित होकर लौटते हैं। महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश देते हैं। श्रीकृष्ण का विश्वरूप प्रकट होता है, और सभी उनकी अर्चना करते हैं।

(Udaipur Kiran) तोमर

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