Maharashtra

सतपुड़ा पर्वत पर बांध से लोगों की प्यास बुझाते ठाणे के दो जल विशेषज्ञ

Queneh tishirt of people from Dam mountain

मुंबई,20 अप्रैल ( हि. स.) ।यद्यपि अगले कुछ वर्षों में महाराष्ट्र को पानी की बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा, लेकिन ठाणे के दो युवाओं और उनके सहयोगियों की मदद से समय को ध्यान में रखते हुए सतपुड़ा पर्वत शृंखला जैसे दुर्गम क्षेत्रों में पानी की योजना पहुंचाने में कुछ हद तक सफलता मिली है।

अकरनीमहल तहसील (धड़गांव) के बोधला पाड़ा गांव में जल स्रोतों का अध्ययन करने के बाद बनाए गए 12 छोटे बांधों की बदौलत यह पाड़ा टैंकर प्रदूषण मुक्त हो गया है।

सतपुड़ा पर्वत में कुछ स्थानों पर पानी की समस्या गंभीर हो गई है। फरवरी से ही पानी का मुद्दा सभी को परेशान कर रहा है। इनमें से एक है सतपुड़ा पर्वत की शृंखला में गौया ग्राम पंचायत का यह बोधला पाड़ा… करीब 250 की आबादी वाले इस पाड़े में गर्मी शुरू होते ही हर साल पानी के टैंकर लाने पड़ते हैं। दरअसल बीस साल पहले से 2003 से 2023 तक हर साल टैंकरों से पाडा को पीने का पानी उपलब्ध कराया जाता रहा। हालांकि, जटिल जल समस्या के समाधान के लिए नर्मदा परिक्रमा करने वाले महेश कुलकर्णी ने वरिष्ठ जल विशेषज्ञ डॉ. अजीत गोखले से संपर्क किया गया था। इस बीच, डॉ. गोखले ने गांव के प्राकृतिक जल स्रोतों का अध्ययन किया और उसके अनुसार योजना बनाई। हालांकि दुर्गम क्षेत्रों और पहाड़ों पर बांध निर्मित कर साफ पानी पहुंचना टेढ़ीखीर लग रहा था लेकिन इस महत्वपूर्ण कार्य में वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. कांतिलाल टांटिया, डॉ. सुमंत पांडे ने भी अपना अधिक परिश्रम और बहुमूल्य समय देकर सहयोग प्रदान किया है।

बताया जाता है कि ठाणे में रहने वाले अक्षय खोत, अविनाश निवाते और अमेय जगताप तथा मोखाडा के पास रहने वाले बालू दुधेड़ा ने अथक परिश्रम किया। नीरजा फाउंडेशन के यशवंत मराठे की मदद से गांव का निरीक्षण करने के बाद नवंबर 2023 में पाडा में करीब 12 बांध (उपला बांध और खी डाकी सीमेंट ड्रेन बांध) का निर्माण किया गया। उत्तम पराडके और ग्रामीणों के साथ मोखाडा की टीम ने बांध बनाने के लिए अथक प्रयास किया। स्थानीय ग्राम पंचायत और नीरजा फाउंडेशन आदि ने इसका वित्तीय भार वहन किया था।

गोराया ( बोड़लपाड़ा ) ग्राम पंचायत गौरैया धड़ गांव जिला नंदूरबार के शिवाजी पारडके का कहना है कि इससे पहले बोधलापाड़ा में कभी भी टैंकर नहीं आता था, इसलिए ग्रामीणों को पीने का पानी लाने के लिए तीन से चार किलोमीटर ऊपर की ओर चढ़ना पड़ता था। हालांकि, पाड़ा में बने बांध के कारण गर्मी के मौसम में भी कुएं का जल स्तर सतह पर बना रहता है।

ठाणे जिले में डोंबिवली निवासी वरिष्ठ जल विज्ञानी डॉ अजित गोखले का मानना है कि यदि प्राकृतिक जल संसाधनों का वैज्ञानिक प्रबंधन किया जाए तो जल समस्या का कुछ हद तक समाधान हो सकता है। बांधों के निर्माण से गर्मियों के दौरान भूजल स्तर को बनाए रखने में काफी मदद मिलेगी।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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