
लखनऊ, 27 मार्च (Udaipur Kiran) । भारत के तराई क्षेत्र में मुक्त रूप से घूमने वाले गैंडों को लाने और उनकी आबादी बढ़ाने के उद्देश्य से गुरूवार को दुधवा टाइगर रिजर्व में दो वयस्क एक सींग वाले गैंडों को खुले स्थान पर छोड़ा गया। अब यह गैंडे खुले में विचरण करेंगे। अभी तक यह गैंडे दुधवा में बने बाड़े में रहते थे। गैंडों को स्थानांतरित करने का काम सरकारी अधिकारियों, क्षेत्र कार्यकर्ताओं, नेपाल राष्ट्र, असम और उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सकों, गैंडा विशेषज्ञों और महावतों के सहयोग से किया गया।
इस अभियान को योजनाबद्ध तरीके से दुधवा टाइगर रिजर्व में 27 वर्ग किलोमीटर के बाड़बंद पुनर्वास क्षेत्र के अंदर चार दशकों से अधिक समय से लगभग 46 गैंडों के बीच से दो गैंडों को स्थानांतरित करने थे। दो गैंडे विगत वर्ष नवम्बर माह में अवमुक्त किए गए थे । उत्तर प्रदेश में गैंडा संरक्षण के तकनीकी साझेदार वर्ल्ड वाइड लाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) इंडिया ने दुधवा टाइगर रिजर्व में ऐतिहासिक गैंडा स्थानांतरण अभियान में उत्तर प्रदेश वन विभाग का सहयोग किया है।
दुधवा टाईगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. राजा मोहन, डिप्टी डायरेक्टर दुधवा डॉ. रेंगाराजू टी और डब्लूडब्लूएफ के तराई हेड डॉ. मुदित गुप्ता के नेतृत्व में हाथियों और उनके प्रशिक्षित महावतों की मदद से 15 से 20 वर्ष की आयु के एक नर और एक मादा गैंडे की पहचान की गई। इसके बाद विशेषज्ञों की विशेष टीमों ने गैंडों को बेहोश करने में मदद की, उन्हें स्थानांतरित किया। उनके स्वास्थ्य मापदंडों की जाँच करने के बाद रेडियो कॉलर लगाकर उन्हें प्राकृतिक आवास में अवमुक्त किया।
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन
