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जेसीबी की टक्कर से बाइक सवार दाे दोस्तों की मौत

मृतक दाेस्त।

चित्तौड़गढ़, 27 जनवरी (Udaipur Kiran) । क्रिकेट मैच देखकर बाइक से घर लौट रहे दो दोस्तों की रावतभाटा परमाणु बिजलीघर रोड पर सड़क हादसे में मौत हो गई। जेसीबी ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। पीछे से दूसरी बाइक पर आ रहा एक अन्य युवक वहां पहुंचा तो लहूलुहान दोस्तों को देखकर रोने लगा। वह मृत दोस्त से लिपटकर बेसुध हो गया।

रावतभाटा थाने के एएसआई शांतिलाल ने बताया कि पुलिस ने ड्राइवर को हिरासत में लेकर जेसीबी और क्षतिग्रस्त बाइक जब्त कर ली है। एक्सीडेंट की सूचना मिलने पर उपजिला अस्पताल रावतभाटा पहुंचे। जानकारी के अनुसार, बाबू चोटिला (25) और सूरजनाथ (27) रविवार को थमलाव गांव (रावतभाटा) में क्रिकेट मैच देखने गए थे।

वे दोस्तों के साथ चर्च बस्ती (रावतभाटा) अपने घर लौट रहे थे। तभी परमाणु बिजलीघर रोड पर एनएफसी गेट के पास उनकी बाइक को जेसीबी ने पीछे से टक्कर मार दी। बाबू की मौके पर ही मौत हो गई। सूरजनाथ को कोटा रेफर किया गया। वहां उसने भी दम तोड़ दिया। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि सभी दोस्त नशे में थे। हादसे के कारणों की जांच की जा रही है।

अलग-अलग बाइक पर कई दोस्त लौट रहे थे। सूरज और बाबू एक बाइक पर थे। उनकी बाइक के पीछे आ रहे दोस्तों ने उन्हें संभाला और तुरंत एंबुलेंस व पुलिस को सूचना दी। मौके पर जेसीबी को रुकवा लिया गया।

एंबुलेंस की मदद से दोनों को रावतभाटा परमाणु बिजलीघर के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर ने बाबू को मृत घोषित कर दिया। सूरजनाथ को प्राथमिक इलाज के बाद कोटा जिला अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचते ही उसने भी दम तोड़ दिया।

सूरजनाथ के दोस्त पप्पू सिंह ने बताया कि हम आठ दोस्त तीन बाइक पर घर लौट रहे थे। बाबू और सूरज एक बाइक पर सबसे आगे थे। एनएफसी गेट के पास उनकी बाइक को जेसीबी ने टक्कर मार दी। मुझे पहले नहीं पता था कि यह एक्सीडेंट मेरे दोस्तों का ही हुआ है। जब मौके पर भीड़ देखी तो मैंने अपने साथियों को मदद के लिए भेजा।

इस बीच जेसीबी ड्राइवर भागने की कोशिश कर रहा था और लगभग 100 मीटर दूर जा चुका था। मैंने पीछा करके उसे रुकवाया और रावतभाटा परमाणु बिजलीघर की सिक्योरिटी के हवाले कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।

पप्पू ने बताया कि जब मैं जेसीबी को पकड़ने के बाद वापस घटनास्थल पर पहुंचा तो दोस्तों को लहूलुहान हालत में देखकर मेरे होश उड़ गए। बाबू का चेहरा बुरी तरह कुचल गया था। समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या किया जाए। लहूलुहान दोस्त बाबू को उठाने का प्रयास किया, वह नहीं उठा तो मैं पूरी तरह टूट चुका था। मैं सड़क पर दोस्त से लिपटकर बेसुध हो गया।

सूरजनाथ और बाबू, दोनों ठेका मजदूर थे। सूरजनाथ के तीन बच्चे हैं। इनमें एक बेटा और दो बेटियां हैं। वह पत्नी और मां के साथ रहता था। बाबू चोटिला अविवाहित थे।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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