

धर्मशाला, 16 मई (Udaipur Kiran) । नवाचार के लिए युवा मस्तिष्कों का पोषण विषय पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के शाहपुर परिसर में समापन हुआ। स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज़ एवं हिमालयन लाइफ साइंस सोसाइटी के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में देशभर से प्रमुख वैज्ञानिक, शिक्षाविद एवं शोधार्थी शामिल हुए।
राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन वीरवार को तीन प्रमुख वैज्ञानिकों ने अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। यह सत्र नवाचार, कृषि प्रौद्योगिकी और टिकाऊ जलीय संसाधनों पर केंद्रित रहा। सत्र की शुरुआत हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर व यूजीसी- एमएमटीटीसीसी के निदेशक, प्रो. डी.आर. ठाकुर के व्याख्यान से हुई। दूसरे प्रमुख वक्ता डॉ. पंकज सूद, प्रधान विस्तार विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र, मंडी ने “कृषि का भविष्य: अत्याधुनिक तकनीक और नवाचार” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कृषि क्षेत्र में ड्रोन, सेंसर और डेटा-आधारित निर्णय लेने की तकनीकों के महत्व को रेखांकित किया।
अंतिम प्रस्तुति पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के जीव विज्ञान विभाग के प्रो. वाई. के. रावल द्वारा दी गई, जिनका विषय था विदेशी मत्स्य प्रजातियों का प्रवेश : टिकाऊ जलीय कृषि का एक समाधान। उन्होंने बताया कि नियंत्रित और विवेकपूर्ण ढंग से विदेशी प्रजातियों का उपयोग जलीय कृषि के लिए कैसे उपयोगी हो सकता है। अपने शोध कार्य का उल्लेख करते हुए उन्होंने हिमाचल प्रदेश की दो प्रमुख मछली प्रजातियों स्नो ट्राउट और ब्राउन ट्राउट पर किए अध्ययनों की जानकारी दी।
राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन तकनीकी सत्र-2 में तीन विषय विशेषज्ञों द्वारा जैव प्रौद्योगिकी, एंजाइम प्रौद्योगिकी, और बायोइन्फोर्मेटिक्स पर केंद्रित सशक्त व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। इस सत्र का आरंभ सेल कल्चर आधारित रोग मॉडल: अनुप्रयोग, चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं पर पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के डॉ. रविंदर कुमार द्वारा दिए गए व्याख्यान से हुआ। इसी क्रम में सत्र के दूसरे प्रमुख वक्ता, डॉ. अरुण कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर) ने “सतत विश्व के लिए एंजाइम” विषय पर व्याख्यान दिया। दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञों के व्याख्यानों के साथ छात्रों एवं शोधार्थियों द्वारा पोस्टर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था जिसमें जैव प्रौद्योगिकी एवं बायोइन्फॉर्मेटिक्स, सतत पशुपालन उत्पादन प्रणाली, पोषण सुरक्षा एवं जैव विविधता, तथा परमाणु से जीवन तक: विज्ञान की परस्पर जुड़ी हुई दुनिया जैसे विषयों पर लगभग 130 पोस्टर व 18 मौखिक प्रस्तुतियां दी गईं। समापन समारोह में सत्र के विशेष अतिथि रजनीश महाजन, डीएफओ, डलहौज़ी वन मंडल ने सभी छात्रों के साथ अपने बहुमूल्य विचार साझा किए।
वहीं, मुख्य अतिथि डॉ. सुदेश कुमार यादव, सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर ने सभी प्रतिभागियों और विभिन्न सत्रों में मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार एवं प्रमाणपत्र प्रदान कर पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को बधाई दी।
मनमोहक नाटी पेश कर लूटी वाहवाही
कार्यक्रम का समापन एक मनमोहक नाटी की प्रस्तुति के साथ हुआ, जिसने समस्त प्रतिभागियों को हिमाचली लोकसंस्कृति की झलक दी। इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों द्वारा नशा विरोधी सामाजिक संदेश पर आधारित एक प्रभावशाली लघु नाटिका प्रस्तुत की गई, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। इन प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को एक सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना से परिपूर्ण समापन प्रदान किया।
(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया
