जयपुर, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । भारत में सामुदायिक रेडियो के 20 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) नई दिल्ली के सहयोग से पश्चिम भारत के राज्यों के लिए 24-25 अक्टूबर को जयपुर में दो दिवसीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन का आयोजन होगा। सम्मेलन की थीम भारत में सामुदायिक रेडियो के बीस साल पूरे होने का उत्सव रहेगी। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के सभी सामुदायिक रेडियो स्टेशन के संचालक (सीआरएस) भाग लेंगे।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में सामुदायिक रेडियो स्टेशन से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। सीआरएस नीति में बदलाव, डिजिटलीकरण के युग में सीआरएस की प्रासंगिकता, स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन में सीआरएस की प्रासंगिकता पर सत्र होंगे, साथ ही लिंग केंद्रित प्रोग्रामिंग और सीआरएस में पथ प्रदर्शकों के अनुभव की झलक साझा की जाएगी। सीआरएस सम्मेलन (पश्चिम) का उद्घाटन 24 अक्टूबर को सुबह 10 बजे किया जाएगा।
सामुदायिक रेडियो छोटे (कम शक्ति वाले) एफएम रेडियो स्टेशन होते हैं जिनका कवरेज क्षेत्र लगभग 10-15 किलोमीटर का दायरा होता है। यह क्षेत्र के भूगोल के आधार पर निर्भर होता है। सीआरएस कृषि संबंधी जानकारी, किसानों के कल्याण के लिए सरकारी योजनाओं, मौसम पूर्वानुमान आदि से संबंधित मुद्दों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही नहीं, सामुदायिक रेडियो समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए अपनी चिंताओं को अभिव्यक्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है। इसके अलावा, ऐसे स्टेशनों को संरक्षण देने वालों में अक्सर समाज के गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोग होते हैं, जिनकी मुख्यधारा की मीडिया तक पहुंच नहीं होती है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) ने वित्तीय वर्ष 2012-13 में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के लिए क्षेत्रीय सम्मेलन की शुरुआत की थी। यह निर्णय राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों द्वारा व्यक्त इच्छा कि विकास एवं सामाजिक परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर नागरिक समाज की अधिक भागीदारी सुनिश्चित हो सके, के चलते लिया गया था। क्षेत्रीय सम्मेलनों का उद्देश्य सीआरएस को जमीनी स्तर की खबरें, वृतांत, सफलताओं, मुद्दों और अच्छी प्रथाओं को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करना है। क्षेत्रीय सम्मेलन ऑपरेशनल सीआरएस को अपनी चिंताओं को पेश करने और सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में विस्तार से बताने का अवसर भी देता है। क्षेत्रीय सम्मेलनों के दौरान जिन मुद्दों और विचारों पर चर्चा की गई है, उसने सीआरएस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता भी तय की हैं।
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(Udaipur Kiran) / रोहित