कोलकाता, 26 मई (Udaipur Kiran) । शिक्षक भर्ती घोटाले और उससे जुड़ी गिरफ्तारियों के कारण गिरी साख को सुधारने के प्रयास में तृणमूल कांग्रेस ने एक सख्त कदम उठाया है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अब सभी स्तरों के नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे किसी भी निजी संस्था या नगर निकाय में नियुक्तियों के लिए राजनीतिक सिफारिश नहीं करेंगे।
पार्टी ने यह निर्देश सीधे तौर पर अपनी छवि को बचाने के लिए दिया है, जो हाल के वर्षों में भर्ती घोटालों के चलते बुरी तरह प्रभावित हुई है। पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी अभी भी जेल में हैं, जबकि तृणमूल विधायक माणिक भट्टाचार्य और जीवनकृष्ण साहा भी लंबे समय तक हिरासत में रह चुके हैं। ऐसे में पार्टी अब आगामी विधानसभा चुनावों से पहले छवि को सुधारने में जुट गई है।
तृणमूल कांग्रेस ने न केवल निजी कंपनियों में नियुक्तियों पर सिफारिशों से परहेज़ करने को कहा है, बल्कि नगरपालिकाओं और ठेका एजेंसियों के मामलों में भी किसी नेता, मेयर, चेयरमैन, काउंसिलर या पंचायत प्रतिनिधि द्वारा किसी तरह का हस्तक्षेप न करने का स्पष्ट निर्देश जारी किया गया है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, पिछले कुछ वर्षों में ऐसी शिकायतें आई हैं कि पार्टी नेताओं ने निजी और ठेका एजेंसियों में अपने लोगों को जबरन भर्ती कराया, और कई मामलों में उनसे कमीशन भी वसूला गया। ऐसे व्यवहार के खिलाफ अब पार्टी ने सख्त रुख अपनाया है।
हालांकि, पार्टी के ही कुछ नेताओं का मानना है कि यह निर्णय काफी देर से लिया गया है। उनका कहना है कि 2021 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद ही भर्ती घोटालों से संबंधित आरोप सामने आने लगे थे, लेकिन तब कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और विपक्षी दल इसे एक बड़ा मुद्दा बना सकते हैं, तब पार्टी हर स्तर पर नियुक्तियों से दूरी बनाने का प्रयास कर रही है।
सूत्रों के अनुसार, कोलकाता के कुछ औद्योगिक क्षेत्रों से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास शिकायतें पहुंची थीं कि श्रमिक संगठनों के कुछ नेता फैक्ट्रियों में नियुक्तियों को लेकर दबाव बना रहे हैं और कई बार पैसे लेकर नियुक्ति भी कर रहे हैं। इन घटनाओं के सामने आने के बाद राज्य अध्यक्ष सुब्रत बक्सी के माध्यम से संबंधित नेताओं को पहले ही चेतावनी दी जा चुकी थी, जिसे अब और कड़े तरीके से लागू किया जा रहा है।
पार्टी की एक शाखा संगठन के प्रमुख ने कहा, अब कोई भी नेता किसी भी नियुक्ति के मामले में दबाव नहीं बना सकेगा। यदि किसी नेता के खिलाफ ऐसी कोई शिकायत साबित होती है, तो उसे सजा भुगतनी होगी। अब किसी एक व्यक्ति की गलती का दाग पार्टी या सरकार नहीं उठाएगी।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
