वाराणसी, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । महमूरगंज स्थित निवेदिता शिक्षा सदन, तुलसीपुर में सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं पूर्व अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख बालकृष्ण “बाल जी“ के निधन पर शोक प्रकट कर श्रद्धांजलि दी गई।
सभा में आरएसएस के काशी प्रान्त प्रचारक रमेश ने कहा कि बाल जी ने आपातकाल के समय कानपुर में भूमिगत होकर सक्रिय रूप से काम किया। अपने प्रचारक जीवन में उन्होंने तहसील प्रचारक से लेकर अखिल भारतीय दायित्व तक का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। उन्होंने एक सच्चे स्वयंसेवक के रूप में उच्चतम आदर्श स्थापित किये।
सभा में पू0उ0प्र0 क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह डॉ वीरेन्द्र जायसवाल ने कहा कि कानपुर के तत्कालीन विभाग प्रचारक स्व. अशोक सिंहल की प्रेरणा से नौकरी छोड़कर सन् 1962 में बाल जी संघ के प्रचारक बने। उन्होंने राष्ट्रहित में अपना सार्वजनिक जीवन आरम्भ किया।
वयोवृद्ध कार्यकर्ता मुरलीधर ने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि बाल जी वर्ष 1980 में काशी के विभाग प्रचारक के रूप यहां कार्य कर रहे थे। उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘‘वनिता की ममता न हुई, सुत का न मुझे कुछ छोह हुआ, ख्याति, सुयश, सम्मान, विभव का, त्यों ही, कभी न मोह हुआ’’ सुनाकर उनके जीवन शैली को बताने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि मूर्तिकार दो प्रकार के होते हैं। एक मूर्तिकार निर्जीव मूर्ति को बनाता है, दूसरा सजीव मूर्ति। जो सजीव मूर्ति बनाता है वो अपनी भावना के ताप से सामने वाले का निर्माण करता है, उसका परिष्कार करता है।
सभा में काशी के विभाग संघचालक डा. जेपी लाल, विभाग प्रचारक नितिन, प्रह्लाद गुप्ता समेत कई स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी / आकाश कुमार राय