जम्मू, 7 दिसंबर (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर बटवाल सभा के सदस्य शनिवार को वीर चक्र विजेता लांस नायक मोहन लाल की 54वीं शहादत दिवस पर उनकी बहादुरी और सर्वोच्च बलिदान को सम्मानित करने के लिए एकत्र हुए।
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनके वीरतापूर्ण कार्यों को याद करते हुए जेकेबीएस के महासचिव आरएल कैथ ने लांस नायक मोहन लाल की वीरतापूर्ण कार्रवाइयों का वर्णन किया। 7 दिसंबर, 1971 की रात को एक मीडियम मशीन गन (एमएमजी) चौकी पर तैनात होने के दौरान उन्हें दुश्मन की ओर से भारी तोपखाने की गोलाबारी का सामना करना पड़ा। हमले के बावजूद उन्होंने लगातार गोलीबारी जारी रखी जिससे दुश्मन की बढ़त रुक गई और भारतीय सैनिकों को जवाबी हमले के लिए फिर से संगठित होने का मौका मिला। उनके साहस ने दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। बाद में उन्हें अपनी चौकी पर शहीद पाया गया जहाँ उनके चारों ओर एक कंपनी कमांडर सहित 19 दुश्मन सैनिकों के शव पड़े थे। कैथ ने कहा इस अद्वितीय बहादुरी के लिए उन्हें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
उपस्थित लोगों ने लांस नायक मोहन लाल की वीरता पर बहुत गर्व व्यक्त किया और सरकार से आग्रह किया कि वह उनके नाम पर एक इमारत, सड़क या संस्थान का नाम रखकर उनकी विरासत का सम्मान करे। श्रद्धांजलि देने वालों में सूबेदार पारस राम लखोत्रा (सेवानिवृत्त), हवलदार दर्शन लाल लखोत्रा (सेवानिवृत्त), हवलदार गहरी लाल लखोत्रा (सेवानिवृत्त), हवलदार जय कुमार कैथ (सेवानिवृत्त), पोली देवी, रणदीप कुमार चंजोत्रा और युवराज लखोत्रा शामिल थे।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा